उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी मामले के आरोपित आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी का विरोध किया है। यूपी सरकार की ओर से वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है। ऐसे मामले में अगर आरोपित को जमानत दी जाती है, तो समाज में गलत संदेश जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के दौरान गरिमा प्रसाद ने कहा कि अभी तक दूसरा पक्ष ऐसा कोई फोटोग्राफ पेश नहीं कर पाया है, जिससे साफ हो कि आशीष मिश्रा घटनास्थल पर न होकर दंगल में मौजूद था। चार्जशीट में हमने आरोप लगाया है कि आशीष मिश्रा घटनास्थल से भागा था।
ट्रायल पूरा करने में लगेंगे पांच साल
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट से पूछा था कि ट्रायल पूरा होने में कितना समय लगेगा। गुरुवार को सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी के ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में 200 गवाह हैं। 27 सीएफएसएल रिपोर्ट है, ऐसे में ट्रायल पूरा करने में कम से कम पांच साल लगेगा। यूपी सरकार ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं।
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आठ लोगों की चली गई थी जान
सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। घटना के दौरान आशीष कार में नहीं था। हाईकोर्ट ने एक साल पहले जमानत दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत को रद्द कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत को रोहतगी ने बताया कि आशीष मिश्रा लगभग एक साल से ज्यादा समय से जेल में है।
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाकर तीन जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।