USAID: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में अमेरिकी ‘यूएसएआईडी’ पर गंभीर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी ने भारत को विभाजित करने के लिए विभिन्न संगठनों को धन मुहैया कराया था। दुबे ने यह भी मांग की है कि सरकार इस मामले में दोषी पाए गए लोगों को जेल भेजा जाये। दुबे ने कांग्रेस पर अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के साथ संबंध रखने का भी आरोप लगाया। पूर्व अमेरिकी अधिकारी माइक बेन्ज़ के हालिया खुलासे से दुबे का दावा और मजबूत हो गया है।
अमेरिकी अधिकारी माइक बेन्ज़ का दावा
अमेरिकी विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी माइक बेन्ज़ ने आगे कहा कि अमेरिका भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक वार्ता में शामिल है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अन्य देशों में मीडिया प्रभाव, सोशल मीडिया सेंसरशिप और विपक्षी दलों को वित्तीय सहायता के आधार पर राजनीतिक माहौल बना रहा है। बेन्ज़ का यह भी दावा है कि अमेरिकी विदेश नीति के कारण यूएसएआईडी, थिंक टैंक और प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां इस घोटाले में शामिल हैं। इन कंपनियों ने भारत में 2019 के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की। उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिकी संगठन ने चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ माहौल फैलाने में विपक्षी दलों की मदद की।
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सोशल मीडिया पर दबाव का जवाब
माइक बेन्ज़ ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग ने फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों को प्रभावित करके मोदी समर्थक सामग्री पर अंकुश लगाने की कोशिश की। बेन्ज़ ने कहा कि जनवरी 2019 में संदेश अग्रेषित करने की सीमा को कम करने की व्हाट्सएप की नीति, डिजिटल प्रसारण को अवरुद्ध करने के भाजपा के प्रयास का एक उदाहरण थी। बेन्ज़ ने यह भी बताया कि मोदी समर्थकों को फर्जी खबरें फैलाने और भारत की डिजिटल दुनिया में हस्तक्षेप करने के लिए बहकाया जा रहा है। बेन्ज़ ने दावा किया कि यूएसएआईडी का आउटरीच संगठन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और डिजिटल फोरेंसिक पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि समूहों सहित भारत से प्राप्त सूचना को खतरे की घंटी बताकर भ्रम की स्थिति पैदा की गई है।