Uttar Pradesh: जाग उठा हिंदुस्थान, यूपी की बनेगी धार्मिक पहचान

जिसके चलते वहां कई मंदिर भी मिले। फिलहाल प्रशासन कई इलाकों में सावधानीपूर्वक खुदाई कर रहा है। इनमें से कुछ मंदिर काफी समय से बंद थे।

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-अमन दुबे

Uttar Pradesh: वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मस्जिद-मंदिर विवाद (mosque-temple dispute) को लेकर काफी बवाल मचा और खूब राजनीतिक गरमाहट पैदा हुई। योगी सरकार (Yogi government) की ओर से राज्य के अलग-अलग जिलों में अवैध मस्जिदों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की गई।

जिसके चलते वहां कई मंदिर भी मिले। फिलहाल प्रशासन कई इलाकों में सावधानीपूर्वक खुदाई कर रहा है। इनमें से कुछ मंदिर काफी समय से बंद थे। उनमें दोबारा पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश के संभल और चंदौसी में चल रही खुदाई में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

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मंदिरों को बना दिया मस्जिद
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मंदिरों पर गुपचुप तरीके से कब्जा कर उन्हें मस्जिदों में तब्दील कर दिया गया था, जिस पर अब योगी सरकार कार्रवाई कर रही है। संभल से शुरू हुआ यह सिलसिला अब बरेली और अलीगढ़ होते हुए वाराणसी तक पहुंच गया है। हिंदू संगठनों ने अब हर उस जगह पर मंदिर ढूंढना शुरू कर दिया है जिसका जिक्र किसी धार्मिक ग्रंथ में है या जिस पर अवैध कब्जे की शिकायत है। मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में बंद मंदिरों की तलाश शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत संभल से हुई, जहां एक के बाद एक कई सालों से बंद पड़े मंदिर मिल रहे हैं।

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इतिहास को जगाने का काम शुरू
बता दें कि संभल में 14 दिसंबर, शनिवार से इतिहास खोदने की प्रक्रिया चल रही है। विवाद मस्जिद के सर्वे से शुरू हुआ था। कोर्ट ने संभल की शाही जामा मस्जिद की वीडियो और फोटोग्राफी के आदेश दिए थे। हिंदुओं का कहना है कि यह मस्जिद नहीं, बल्कि श्री हरिहर का मंदिर है। 19 नवंबर को पुलिस की मौजूदगी में सर्वे किया गया। इससे मुसलमान भड़क गए। 22 नवंबर को जुमे की नमाज के दिन इलाके में तनाव के चलते पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

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हिंदू संगठनों का दावा
24 नवंबर को टीम फिर जामा मस्जिद का सर्वे करने गई। इस दौरान जमा भीड़ और पुलिस के बीच झड़प हो गई। पथराव और हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई। उपद्रवियों की तलाश में पुलिस को बिजली चोरी का मामला मिला। 14 दिसंबर को खग्गसराय के दीपा राय इलाके में चेकिंग के दौरान एक मंदिर मिला, जो 46 साल पुराना शिव मंदिर था। इसके प्रांगण में एक कुआं मिला। संभल के सरायतरीन क्षेत्र में राधा कृष्ण का मंदिर मिला था और अब एक बावड़ी मिली है। हिंदू संगठनों का दावा है कि इस स्थान पर अभी भी 65 से अधिक मंदिर और 16 कुओं का मिलना बाकी है।

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प्राचीन गुप्त मंदिरों की खोज
संभल जिले से इसकी शुरुआत हुई है, यहां 2 बंद मंदिर मिले हैं। ये दोनों मंदिर मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं। पहला कार्तिकेश्वर मंदिर 14 दिसंबर को मिला था और दूसरा हयात नगर के सरायतरीन में मिला था।

अमेठी में मिला शिव मंदिर
अमेठी में 120 वर्ष पुराना शिव मंदिर मिला है। प्राचीन पंच शिखर शिव मंदिर पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। एसडीएम को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि मुसलमानों ने मंदिर पर कब्जा कर लिया है और मंदिर में पूजा-अर्चना बंद कर दी है।

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चंदौसी में खुला राज
चंदौसी के मुस्लिम इलाके में स्थित बांके बिहारी और महादेव मंदिर को फिर से खोल दिया गया है। यह पूजा 2010 से बंद थी। अब प्रशासन ने हाल ही में इन दोनों मंदिरों को खोल दिया है।

शिव मंदिर बन गया खंडहर
भगवान शिवशंकर का मंदिर 1970 में स्थापित किया गया था और 1992 तक यहां पूजा-अर्चना होती रही। लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विवाद और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण हिंदू यहां से पलायन कर गए।

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अलीगढ़ में भी मिले दो मंदिर
अलीगढ़ में दो पुराने मंदिर मिले हैं। हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि उनकी टीम ने अलीगढ़ के दिल्ली गेट थाना क्षेत्र के मुस्लिम बहुल इलाके में एक शिव मंदिर की खोज की है। इससे पहले बन्नादेवी थाना क्षेत्र के सराय रहमान इलाके में भी एक मंदिर की खोज हुई थी।

वाराणसी के इतिहास से छेड़छाड़
काशी के मुस्लिम बहुल इलाके में एक बंद मंदिर मिला है। वाराणसी के हिंदुओं का दावा है कि यह मंदिर 250 साल पुराना है और पिछले 40 सालों से बंद पड़ा है।

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खुर्जा में 35 साल से बंद है मंदिर
बुलंदशहर जिले में भी 50 साल पुराना मंदिर मिला है। मिली जानकारी के अनुसार, यह मंदिर 1990 के दंगों के बाद से बंद है। हिंदू संगठनों ने प्रशासन से मंदिर का जीर्णोद्वार कराने की अपील की है, ताकि यहां पर पूजा फिर से शुरू हो सके।

कानपुर में मिले दो मंदिर
कानपुर में दो मंदिर खोले गए। ये मंदिर 1992 के दंगों के बाद से बंद थे। इस दौरान जब शिवालय खोला गया तो मंदिर के अंदर से शिवलिंग गायब मिला। दूसरे मंदिर में एक छोटी सी फैक्ट्री चलती मिली।

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अब जाग रहे हिंदू
प्रदश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी काफी समय है, लेकिन यहां की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले जानकर अंकित द्विवेदी का मानना ​​है कि राज्य में मंदिर-मस्जिद को लेकर बढ़ते विवादों ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज धार दे दी है और चुनाव की जमीन अभी से तैयार होनी शुरू हो गई है। द्विवेदी का कहना है कि हाल ही में हुए उपचुनावों में हिंदू एकता की जमीन तैयार करने में “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों ने अहम भूमिका निभाई। यदि हिंदू एकजुट हो जाएं तो हिंदू राष्ट्र बनेगा और एक बार फिर हमारा देश हिंदू देवी-देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाएगा।

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