Uttar Pradesh: पाकिस्तानी महिला ने बरेली में नौ साल तक की सरकारी नौकरी, जानें पूरा मामल

नौ साल तक बच्चों को पढ़ाती रही और वेतन भी ले रही थी, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। शिकायत पर जांच में खुलासा हुआ कि शुमायला खान भारतीय नागरिक नहीं, बल्कि पाकिस्तानी नागरिक है।

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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली (Bareilly) जनपद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें बरेली से लेकर पाकिस्तान (Pakistan) तक मामले के तार जुड़े हैं। हुआ यूं कि एक पाकिस्तानी महिला (Pakistani woman) ने फर्जी दस्तावेजों (fake documents) के सहारे सरकारी नौकरी (government job) हासिल कर ली और नौ साल से प्राथमिक विद्यालय में बतौर सहायक अध्यापक बच्चों को पढ़ा रही थी। यह मामला शिक्षा विभाग और प्रशासनिक प्रणाली की बड़ी चूक को उजागर करता है। हालांकि सहायक अध्यापिका को अक्टूबर में निलंबित कर दिया गया था और अब गंभीर धाराओं में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

पाकिस्तान की नागरिक शुमायला खान ने तथ्यों को छिपाकर 2012 में रामपुर उपजिलाधिकारी कार्यालय से निवास प्रमाण पत्र प्राप्त किया। इस फर्जी दस्तावेज का उपयोग कर उन्होंने 2015 में प्राथमिक विद्यालय माधौपुर, विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी में सहायक अध्यापक के पद पर सरकारी नौकरी हासिल की। नौ साल तक बच्चों को पढ़ाती रही और वेतन भी ले रही थी, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। शिकायत पर जांच में खुलासा हुआ कि शुमायला खान भारतीय नागरिक नहीं, बल्कि पाकिस्तानी नागरिक है।

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फर्जी प्रमाण पत्र का खेल
तहसीलदार सदर, रामपुर की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि शुमायला खान ने अपनी असली पहचान छुपाई और गलत तरीके से निवास प्रमाण पत्र बनवाया। उसने विभाग में करीब नौ साल तक नौकरी की। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई जांच में उनके निवास प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया। इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। रामपुर के उपजिलाधिकारी कार्यालय ने स्पष्ट किया कि शुमायला खान पाकिस्तानी नागरिक हैं और उन्होंने भारतीय नागरिकता का झूठा दावा किया था।

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नौकरी से हटाई गईं, एफआईआर दर्ज
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शुमायला खान की नियुक्ति रद्द कर दी है। इसके साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी ने पुलिस को उनके खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है। मामले में महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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कैसे हुई इतनी बड़ी चूक?
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए विदेशी नागरिक सरकारी सेवाओं में प्रवेश कर सकते हैं। लोगों का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। पाकिस्तानी नागरिक के भारतीय सरकारी तंत्र में प्रवेश से कई सवाल उठते हैं। कैसे फर्जी दस्तावेज बनाए गए और सत्यापन प्रक्रिया क्यों विफल रही। इस फर्जीवाड़े में कौन-कौन लोग शामिल हैं।

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प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के बाद सभी सरकारी नियुक्तियों की गहन जांच का आदेश दिया गया है। एसपी उत्तरी मुकेश मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी ने तहरीर देखकर अवगत कराया था कि शुमायला खान पुत्री एस ए खान निवासी बीजतोड़ी टोला रामपुर ने कूटरचित प्रमाण पत्र के आधार पर सहायक अध्यापिका के पद पर नौकरी हासिल कर ली। जिस पर उनके खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की गई थी। जांच के उपरांत तहरीर के आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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