Uttarakhand : तीन माह बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग(Silkyara Tunnel of Uttarkashi) के पुनर्निर्माण में अभी भी कुछ और वक्त लग सकता है। हालांकि प्रशासन ने टनल के अंदर डैमेज एरिया के ट्रीटमेंट को हरी झंडी(Green signal for treatment of damaged area inside the tunnel) दे दी है।
सूत्रों की मानें तो एनएचआईडीसीएल(NHIDCL) ने कान्ट्रैक्टर कंपनी नवयुगा कंपनी पर टनल के डैमेज एरिया को दुरुस्त करने का दबाव(Pressure to repair the damaged area of the tunnel) बढ़ा दिया है, लेकिन रिस्की प्वाइंट(risky point) से मलबा हटाना आसान नहीं है। अब कंपनी ने अनुभवी इंजीनियरों से राय शुमारी करनी शुरू की है। हालांकि कंपनी के इंजीनियरों ने डैमेज एरिया में एसडीआरएफ की देख-रेख में काम करना भी शुरू कर दिया था,लेकिन डैमेज प्वाइंट पर खतरा बना हुआ है और कंपनी की सभी मशीनें भी सुरंग के अंदर फंसी होने से मलबा हटाना मुश्किल है।
अनुभवी इंजीनियरों की सलाह पर तैयार होगा प्रपोजल
अब नयी रणनीति के तहत पहले अनुभवी इंजीनियरों की सलाह पर इसका प्रपोजल तैयार होगा और फिर टनल ट्रीटमेंट का काम शुरू होगा। सूत्र बताते हैं कि नवयुगा कंपनी इस कार्य को किसी और कंपनी के हाथों सौंपेगी, क्योंकि वर्तमान में न तो कंपनी के पास संसाधन हैं और ना ही अनुभवी इंजीनियर जिस कारण टनल निर्माण में समय लग सकता है। हालांकि कंपनी के वर्कर टनल के अंदर से पानी रिसाव को हटाने और ब्रिज निर्माण के कार्य में तेजी ला रहे हैं। धीरे-धीरे कंपनी के मजदूर भी वापस आने लगे हैं और अपने काम पर लग चुके हैं। मगर बड़ा सवाल यही है कि टनल के अंदर मलबे को कब हटाना शुरू होगा और कब कंपनी के मजदूर मलबे को हटाकर आगे बढ़ेंगे।
सिलक्यारा सुरंग में डी-वाटरिंग कार्य पूरा होते ही शुरू होगा निर्माण : अंशु खलखो
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु खलखो ने बताया कि धरासू -यमुनोत्री को जोड़ने वाले टनल में बड़कोट पौल गांव छोर के कार्य गतिमान है, जबकि सिलक्यारा छोर से अभी कार्य शुरू नहीं हो सका है। इसमें अभी वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि बीते तीन महीने निर्माण कार्य बंद हैं, जिसकी वजह से टनल के अंदर पानी भरा है। उन्होंने बताया कि अभी डीवाटरिंग का पूर्वाभ्यास एसडीआरएफ की टीम ने कर दिया है। अब श्रमिक डीवाटरिंग का कार्य शुरू करेंगे।
क्या कहते हैं एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक?
एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि डी-वाटरिंग के कार्य की प्लानिंग की जा रही है, जिसमें अभी दो -चार दिन का वक्त लग सकता है। उन्होंने बताया इसके पूर्व अभ्यास के लिए बीते बुधवार को एसडीआरएफ की टीम आ चुकी है। उन्होंने बताया कि सुरक्षात्मक कार्य के लिए करीब दस मीटर बेस तैयार करने की योजना है।
सिलक्यारा टनल में फंसे दो मजदूर ही अभी काम पर लौटे-
गत 12 नवम्बर 2023 को तड़के सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल के अंदर 17 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच फंसे 41 श्रमिकों में से महज अभी दो श्रमिक ही दोबारा कंपनी में अपनी उपस्थिति दी है। अब तक अधिकतर मजदूर वापस नहीं लौटे, जिससे कंपनी के पुनर्निर्माण कार्य में दिक्कत आ रही है। हालांकि कंपनी के अधिकारी उनसे संपर्क साध रहे हैं और उन्हें मासिक भुगतान भी किया जा रहा है।
बौखनाग मंदिर निर्माण में अड़चन-
बौखनाग देवता को दिये वचन के मुताबिक नवयुगा कंपनी ने टनल के मुंहाने पर मंदिर बनाने का कार्य शुरू तो कर दिया था, मगर टेक्निकल दिक्कत के वजह से अब निश्चित जगह पर मंदिर निर्माण नहीं होगा। बताया गया है कि भविष्य में टनल से सटाकर यदि मंदिर बनाया गया तो एक्सीडेंट का खतरा हो सकता है। इसलिए अब कुछ मीटर और खिसकाकर मंदिर बनाया जा रहा है। हालांकि मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है और उस जगह को भी समतल किया गया है।