श्री काशी विश्वनाथ परिसर के ज्ञानवापी प्रकरण में सोमवार को हुई सुनावई हुई। न्यायालय ने निर्णय के लिए मंगलवार का समय दिया है, जब स्थानीय न्यायालय में दायर तीन याचिकाओं को लेकर इसका निर्णय होगा कि, प्रकरण की सुनवाई आगे कैसे होगी।
ज्ञानवापी प्रकरण में तीन याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित हैं, जिनमें से दो हिंदू पक्ष ने और एक मुस्लिम पक्ष ने दायर की है।
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हिंदू पक्ष की याचिका
1. ज्ञानवापी परिसर में स्थित शृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा की मिले अनुमति
2. वजूखाना के शिवलिंग में पूजा की मिले अनुमति
3. शिवलिंग जिस कमरे में स्थित हैं, उसके मार्ग से मलबा हटाया जाए
4. शिवलिंग के सर्वेक्षण द्वारा शिवलिंग की उंचाई और चौंड़ाई जानने की मिले अनुमति
5. वजूखाना को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए
मस्जिद कमेटी की याचिका
1. वजूखाना को सील न किया जाए
2. प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 के अनुसार ज्ञानवापी का सर्वेक्षण और याचिका को संज्ञान में लिया जाए
ये है प्रकरण
ज्ञानवापी प्रकरण में वर्ष 1991 में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें यह बताया गया था कि, 16वीं सदी में औरंगजैब ने श्री काशीविश्वनाथ मंदिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करके वहां मस्जिद का निर्माण करवाया था।
याचिकाकर्ताओं ने अनुमति मांगी थी कि ज्ञानवापी परिसर में उन्हें पूजा करने की अनुमति दी जाए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिका की मांग पर वर्ष 2019 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण पर स्थगन दे दिया था।
ज्ञानवापी प्रकरण में वर्तमान याचिका पांच महिलाओं ने दायर की है, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में स्थित ज्ञानवापी परिसर में स्थित मूर्तियों की पूजा की अनुमति मांगी गई है। याचिकाओं के अनुरूप ही वाराणसी न्यायालय ने पिछले माह ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। इसी सर्वेक्षण के बीच वजूखाने में शिवलिंग प्राप्त हुआ है।
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