Veer Savarkar: स्वतांत्र्यवीर सावरकर मुक्ति शताब्दी वर्ष पर पुणे में ढोल-नगाड़ों के साथ निकाली गई यात्रा, सैकड़ों देशभक्त हुए शामिल

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सशस्त्र क्रांतिकारियों का योगदान अत्यंत मूल्यवान है। भारत की स्वतंत्रता के लिए लाखों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।

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Veer Savarkar: 6 जनवरी 2024 को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर(freedom fighter veer savarkar) को जेल से रिहा हुए 100 साल पूरे हो गये। इस अवसर पर पुणे की येरवडा जेल(Yerwada Jail of Pune) से फर्ग्यूसन कॉलेज(fergusson college) तक स्वतंत्रता के नायक वीर सावरकर की मुक्ति शताब्दी यात्रा(Veer Savarkar’s liberation centenary march) निकाली गई।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन(India’s freedom movement) में सशस्त्र क्रांतिकारियों का योगदान अत्यंत मूल्यवान है। भारत की स्वतंत्रता के लिए लाखों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। इन सशस्त्र क्रांतिकारियों के नेता स्वतंत्रता सेनानी सावरकर थे। 1921 में अंडमान से रिहाई के बाद सावरकर को रत्नागिरी और फिर येरवडा जेल में रखा गया था। नागरिकों के बढ़ते दबाव के कारण 6 जनवरी, 1924 को स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को कारावास से रिहा कर दिया गया। येरवडा जेल से बंबई( अब मुंबई) लाए गए सावरकर को 8 जनवरी, 1924 को रत्नागिरी ले जाया गया और उनका 13 साल का ‘समाजक्रांति पर्व’ शुरू हुआ। इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक मुंबई’ की ओर से 6 जनवरी को पुणे की येरवडा जेल से फर्ग्यूसन कॉलेज तक स्वातंत्र्यवीर सावरकर मुक्ति शताब्दी यात्रा का आयोजन किया गया था।

ढोल-नगाड़ों के साथ शुरू हुई यात्रा
6 जनवरी को सुबह 9 बजे येरवडा जेल से यात्रा शुरू की गई। जेल अधीक्षक ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रतिमा वीर सावरकर के पोते और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर को सौंपी। उस प्रतिमा के साथ अभिनेता रणदीप हुड्डा जेल से बाहर आये। इसके बाद शंखनाद और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के बीच यात्रा को रवाना किया गया।

 सुनील देवधर ने किया यात्रा का स्वागत
यात्रा येरवडा जेल से शुरू हुई और फिर डेक्कन में सावरकर स्मारक तक पहुंची। वहां भाजपा के सुनील देवधर, पुणे सार्वजनिक सभा के अध्यक्ष विद्याधर नारगोलकर, अनंत पनाशिकर और चन्द्रशेखर साने ने यात्रा का स्वागत किया। इस अवसर पर विमलाबाई गरवारे स्कूल के प्राचार्य एवं विद्यार्थी भी उपस्थित थे। इस मौके पर गणमान्य लोगों ने स्वतंत्रता के नायक सावरकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस यात्रा में सैकड़ों राष्ट्रभक्त साइकिल, मोटरसाइकिल, कार में सवार होकर शामिल हुए।

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सावरकर के छात्रावास कक्ष में पुष्पांजलि
यात्रा के फर्ग्यूसन कॉलेज पहुंचने पर रणजीत सावरकर और मंजिरी मराठे ने गणमान्य लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर अभिनेता रणदीप हुड्डा, अभिनेता शरद पोंक्षे, रणजीत सावरकर, स्वतांत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने छात्रावास में स्वतंत्रता नायक सावरकर के कमरे में जाकर पुष्पांजलि अर्पित की।

लघु नाटक एवं लाठी काठी प्रदर्शन
इस कार्यक्रम में ‘जयोस्तुते’ गाना गाया गया। इसके बाद हथियार संचालन का प्रदर्शन किया गया। इसमें लाठी-काठी, तलवार, दंडपट्ट और अन्य शिवकालीन हथियारों का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद स्वतंत्रता के नायक सावरकर की पोती विनता जोशी ने सावरकर द्वारा लिखित शिवराय की आरती गाई।

इस अवसर पर सावरकर के जेल जीवन पर आधारित नाट्य ‘तपोपूर्ति’ प्रस्तुत किया गया। संजीत घाटपांडे, कन्हैया शाह, प्रज्ञा प्रभुदेसाई, डाॅ. मंदार अक्कलकोटकर, रोहन नारके, चिन्मय केसकर, केदार गोडसे, प्रांजल अक्कलकोटकर, ऋत्विक कुलकर्णी, रोहन बावडेकर ने इसमें भाग लिया।

इस अवसर पर शिवमुद्रा ढोल मंडली, समर्थ प्रतिष्ठान ढोल मंडली, विष्णुनाद शंख मंडली, लाठी-काठी प्रदर्शन समूह आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर अभिनेता रणदीप हुड्डा, अभिनेता शरद पोंक्षे, रणजीत नातू, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मेधा कुलकर्णी, स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, ब्रिगेडियर हेमंत महाजन और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मुक्ति शताब्दी वर्ष के अवसर पर इस यात्रा की परिकल्पना रणजीत सावरकर ने की थी, जबकि पूरी यात्रा की योजना मंजिरी मराठे ने बनाई थी। इसमें संतोष कारक, सौरभ धाडफले, आशीष जोशी, सचिन गोधानी, रणजीत नातू ने सहयोग किया।

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