भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लैंडर (Lander) को प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया है। इसका मतलब यह है कि लैंडर आगे का सफर अकेले ही तय करेगा। इसरो के अनुसार, आने वाले 6 दिन लैंडिंग के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि, यहां लैंडर को काफी तेजी के साथ कई अहम पड़ाव पार करने होंगे।
इसके अलावा इसरो ने कहा, इस बीच प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार इस धुरी पर घूमता रहेगा और आने वाले कई सालों तक इसरो को पृथ्वी के बारे में कई अहम जानकारियां देता रहेगा। यह पेलोड आने वाले कई वर्षों तक पृथ्वी के वायुमंडल के स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन के लिए जानकारी भेजेगा।
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Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
पृथ्वी पर बादलों के बनने और उनकी दिशा के बारे में सटीक जानकारी देगा। अंतरिक्ष में होने वाली अन्य गतिविधियों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी देते रहेंगे, जिससे आने वाले समय में हमें वहां होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती रहेगी।
अब क्या होगा?
इसरो के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने की प्रक्रिया के बाद लैंडर को चंद्रमा की ओर जाते हुए 90 डिग्री का मोड़ लेना होगा। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय इसकी गति बहुत तेज है। मोड़ लेने के बाद भी चुनौतियाँ यहीं खत्म नहीं होंगी। क्योंकि इसके बाद जब लैंडर चंद्रमा की सीमा में प्रवेश करेगा, उस समय भी उसकी गति बहुत तेज होगी। ऐसे में वैज्ञानिक लैंडर को डीबूस्ट करेंगे।
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