देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में ट्रैफिक एक गंभीर समस्या मानी जाती है। इस हालत में इसे सुचारु रखने की आवश्यकता होती है। इसके लिए गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है। कोरोना काल से पहले इसके लिए दो महत्वपूर्ण सड़कों को जोड़नेवाली छोटी सड़क के आसापास एक किलोमीटर के परिसर को नो पार्किंग जोन में रखा गया था और नो पार्किंग जोन में गाड़ी पार्क करने पर दंड वसूलने का प्रावधान था। लेकिन कोरोना महामारी के बाद मुंबई महानगरपालिका इस नियम को भूल गई है। हालांकि यह नियम अभी भी लागू है लेकिन इस पर अमल होता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि इसके लिए सभी मनपा विभागों के लिए खरीदी गई टोइंग वाहनों को भी पुलिस विभाद को देने की जानकारी मिली है।
परदेशी ने बनाया था नियम
मुंबई महानगरपालिका के पूर्व आयुक्त प्रवीणसिंह परदेशी ने पब्लिक पार्किंग प्लेस से 500 मीटर से ज्यादा दूरी पर अनधिकृत रुप से पार्क की गई गाड़ियों के विरुद्ध 7 जुलाई 2019 से कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया था। इस नियम के लागू होने के बाद नो पार्किंग के बोर्ड लगाकर इस बारे में लोगों में जागरुकता फैलाई गई थी। इसके बाद 9 जुलाई 2019 को की गई कार्रवाई में 53 चारपहिया, तीन तीनपहियी और 51 दुपहिया इस तरह कुल मिलाकर 107 वाहनों पर कार्रवाई की गई थी। इस कार्रवाई में 5 लाख 19 हजार 460 रुपए दंड वसूले गए थे।
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अब कार्रवाई ट्रैफिक पुलिस के जिम्मे
कोरोना काल में नो पार्किंग जोन की व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वाहनधारक कहीं भी गाड़ियां पार्क कर रहे हैं। इस वजह से ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या बनती जा रही है। परदेशी के तबादले के बाद ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों ने पुराने नियमों को ताक पर रख दिया है। इससे पहले इस मुहिम को असरदार तरीके से लागू करने के लिए सभी 24 विभागों के लिए टोइंग वाहन खरीदे गए थे। लेकिन अब नो पार्किंग जोन में पार्क की गई गाड़ियों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी बीएमसी ने ट्रैफिक विभाग पर छोड़ दी है। इसलिए कार्रवाई करने के लिए खरीदी गई गाड़ियां भी पुलिस विभाग को दिए जाने की जानकारी मिल रही है।
ट्रैफिक पुलिस के पास टोइंग वाहनों की कमी
बताया जा रहा है कि पुलिस विभाग के पास कार्रवाई के लिए टोइंग गाड़ियों की संख्या काफी कम है। इस वजह से बीएमसी ने ये गाड़ियां उसे देने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि गाड़ियों के बाकी पैसे ट्रैफिक पुलिस चुकाएगा , लेकिन इस बारे में कोई लिखित करार नहीं होने से संभ्रम की स्थिति है।