– कोमल यादव
बांग्लादेश (Bangladesh) में तख्तापलट (Coup) हो गया है। शेख हसीना (Sheikh Hasina) के इस्तीफे (Resignation) के बाद वहां अंतरिम सरकार का गठन भी हो गया है। इस सरकार की कमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस (Muhammad Yunus) के मार्गदर्शन में काम करेगी। हालांकि देश में अभी तक हिंदुओं को निशाना बनाया जाना जारी है। मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदू लड़कियों के साथ दुष्कर्म का सिलसिला थमने का ना नहीं ले रहा है। हिंदुस्थान पोस्ट संवाददाता कोमल यादव ने बांग्लादेश की स्थिति पर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (री) जीडी बख्शी से खास बात की। मेजर बख्शी को कारगिल युद्ध में अपनी बटॉलियन का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करने के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया गया है। वे 1971 के भारत पाक युद्ध में शामिल थे। इसके अतिरिक्त उन्हें जम्मू कश्मीर और पंजाब के अतंकवादी ऑपरेशंस का भी अच्छा अनुभव है। वो डीजी मिल्ट्री ऑपरेशंस भी रहे हैं। फिलहाल पेश है उनसे हिंदुस्थान पोस्ट की खास बातचीत के अंशः
शेख हसीना के वो बयां जो काफी सुर्ख़ियों में है।
उनका इशारा अमेरिका की तरफ था। अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा है। उसकी डिमांड है कि वहां उसे एयर बेस बनाने दिया जाए। इस पर शेख हसीना ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री की गद्दी छोड़ने को तैयार हूं लेकिन मैं अपने देश की सुरक्षा का सौदा नहीं कर सकती। चीन का भी चितगांव के पास एक पोर्ट है, जहां वह एक पोर्ट बनाकर अपनी बेल्ट रोड इनिशिएटिव का एक आउटलेट बनाना चाहता है, लेकिन हसीना उसे इसकी मंजूरी नहीं दे रही थी, इसके चलते वह भी बहुत नाराज है। यह एक बहुत बड़ी साजिश है। दरअस्ल अमेरिका और चीन दोनों पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की सर्विसेस रेंट कर रहे हैं। वे बांग्लादेश में दंगे फैलाने चाह रहे थे, जो कि हुआ। इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा झटका लगा।
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क्या भारत में बांग्लादेश से एक करोड़ हिंदू आ सकते हैं?
नहीं, देखिए यह तो सच है कि बांग्लादेश के अंदर हिंदू मंदिरों पर, हिंदू बिजनेसेस पर, और हिंदू घरों पर अटैक हुए हैं पर अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे यह समझ आये की घुसपैठियों ने भारत में प्रवेश किया हो। वहां लोग घायल हुए हैं, तोड़फोड़ हुई है, इस्कॉन टेंपल में तोड़फोड़ हुई है, लेकिन ऐसा होना उनके हित में नहीं है क्योंकि इससे भारत से उनकी दुश्मनी बढ़ेगी, जो उनके हित में नहीं है। (Bangladeshi Hindus)
जो भी सुपर पावर्स इसके अंदर शामिल हैं, जैसे कि अमेरिका और चीन। यह मोदी (Modi)amei सरकार पर निशाना साध रहे हैं। यह हमको समझना होगा। इलेक्शन के दौरान वे सफल नहीं हो पाए। जॉर्ज सोरेस ने बिलियन डॉलर की घोषणा की थी कि पीएम मोदी को हटाया जाए। सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा था कि हिंदू सरकार ना बने। यूट्यूब चैनल्स, ट्विटर(एक्स) हैंडल्स और फेसबुक पर उन्होंने युद्ध स्तर पर लाखों करोड़ों रुपए लगाए। लेकिन वे अपने मकसद में सफल नहीं हुए। हालांकि कुछ हद तक भाजपा को नियंत्रित करने में वे सफल रहे। उन्होंने भाजपा को 400 तक नहीं पहुंचने दिया। उनके षड्यंत्र के कारण भाजपा को आम चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा।
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अब बांग्लादेश प्रो इंडिया होने वाला है या एंटी इंडिया ?
यूनुस अमेरिका के चहेते हैं। यूनुस के खिलाफ दर्जनों मामलों में आरोप लगाए गए हैं। जनवरी में उनको श्रम कानून उल्लंघन के आरोप में अदालत ने छह महीने कारावास की सजा सुनाई थी। कई लोगों का मानना है कि यूनुस ने 2007 में राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी, तब देश में सैन्य समर्थित सरकार थी और हसीना जेल में थीं। हसीना, यूनुस की इस घोषणा से वह नाराज हो गई थीं, हालांकि, यूनुस ने अपनी योजना पर अमल नहीं किया था, लेकिन उस समय उन्होंने बांग्लादेशी नेताओं की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि उनकी रुचि केवल पैसे में है,तो उनको छुड़वाने के लिए हिलरी क्लिंटन ने प्रणव मुखर्जी से बात की थी, वे उस वक्त भारत के वित्त मंत्री थे।
वास्तव में मोहम्मद युनूस को स्टूडेंट्स ने चुना है। उन्होंने कहा कि देश का नेतृत्व करने के लिए लोगों को सेना नहीं, हम चुनेंगे। जाहिर है कि इसमें अमेरिका का हाथ है। वैसे वे अच्छे हैं। पढ़े-लिखे हैं। नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। वास्तव में नोबेल पुरस्कार भी अमेरिका के पिछलगुओं को मिलता है। नोबेल पीस प्राइज, नोबेल इकोनोमिक प्राइज आदि। ये पुरस्कार कट्टरपंथियों को नहीं मिलते, पढ़े-लिखे लोगों को ही मिलते हैं। मुझे नहीं लगता है कि वे हिंदुओं का नरसंहार करना चाहेंगे। हां बीएनपी और जमाते इस्लाम के कट्टरपंथी आएंगे, तो वे हिंसा कर सकते हैं। भारत को नीचा दिखाने के लिए वे हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
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बांग्लादेश में जारी हिंसा का भारत पर क्या असर हो सकता है ?
शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान, भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उनके जाने से संभावित रूप से ये प्रभावित हो सकता है और संभावित रूप से दोनों के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की प्रगति में देरी ही सकती है। इसके अलावा जो BIMSTEC इनिशिएटिव हमने लिया था कि हम नॉर्थ ईस्ट को बांग्लादेश के जरिए जोड़ेंगे, जो कि सबसे छोटा रास्ता है, नॉर्थ ईस्ट की डेवलपमेंट करें, अब उस पर सवालिया निशान लग गया है। हालांकि बांग्लादेश को भी बहुत जरूरत है भारत की। हमने उसकी इकोनॉमिकली बहुत मदद की है। बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट वहां लगाए हैं और आर्थिक सहायता दी है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश भी इतनी आसानी से भारत के सपोर्ट को नहीं गंवाएगा। (Bangladesh)
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