Junior doctors agitation: जूनियर डॉक्टरों ने शारदीय उत्सव के बीच भी अपने आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने इस संबंध में योजनाएं भी तैयार कर ली हैं। 24 सितंबर को जूनियर डॉक्टरों की जनरल बॉडी (जीबी) बैठक हुई, जिसमें उन्होंने अपने आंदोलन के लिए दो से तीन चरणों का मसौदा तैयार किया। उस बैठक में शामिल एक जूनियर डॉक्टर ने 25 सितंबर को बताया कि पहला चरण 27 सितंबर, शुक्रवार को होगा। इसके बाद, अक्टूबर में दुर्गा पूजा के आरंभ होते ही इस आंदोलन को और भी बड़ा रूप देने का लक्ष्य है। डॉक्टरों की प्रमुख मांग है— पीड़िता को न्याय दिलाना। इसके साथ ही वे स्वास्थ्य क्षेत्र से ‘धमकी संस्कृति’ को जड़ से उखाड़ने की भी मांग कर रहे हैं।
पूरे बंगाल में फैलाना चाहते हैं आंदोलन
27 सितंबर को दक्षिण कोलकाता के धनधान्य प्रेक्षागृह में जूनियर डॉक्टर एक नागरिक सम्मेलन आयोजित करेंगे। हालांकि, वे अपने आंदोलन की विस्तृत योजना को अभी सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं। फिर भी, उन्होंने संकेत दिया है कि वे इसे पूरे बंगाल में फैलाना चाहते हैं। आंदोलन की अगुवाई कर रहे डॉक्टरों ने कहा है कि यह आंदोलन किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है, बल्कि जनता का है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को सामाजिक समर्थन प्राप्त है, और वे इसे बरकरार रखते हुए अन्य सामाजिक आंदोलनों का भी हिस्सा बनना चाहते हैं।
जारी रहेगा आंदोलन
पिछले गुरुवार को नवान्न में मुख्य सचिव के साथ बैठक के बाद, जूनियर डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन के सामने से उनका धरना समाप्त होगा। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि आंदोलन जारी रहेगा। जीबी बैठक में भी आंदोलन को जारी रखने पर सहमति बनी और इसके अगले चरण की रूपरेखा तय की गई। पहले चरण में उनका ध्यान राज्य सरकार की ओर था, लेकिन अब आंदोलनकारी केंद्र और सीबीआई की ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
चौथी और पांचवीं मांगे जोड़ने की तैयारी
जूनियर डॉक्टरों की मांगों में से चौथे और पांचवें नंबर की मांगों को भी जोड़ने का प्रस्ताव है। चौथी मांग स्वास्थ्य संरचना में सुधार की है, जिसे लेकर राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को 10 निर्देश भेजे हैं। डॉक्टरों ने इन निर्देशों के त्वरित कार्यान्वयन की मांग की है। उनकी पहली मांग पीड़िता को न्याय दिलाने की है, और इसके साथ ही वे ‘धमकी संस्कृति’ को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, जो उनके अनुसार सरकारी अस्पतालों में फैली हुई है।
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छात्र कर रहे थे आंदोलन
25 सितंबर को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में 12 लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया गया था, जबकि बाहर छात्र डॉक्टर आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पिछले हफ्ते हाइलैंड पार्क से नागरिक समाज द्वारा ‘रिले मशाल मार्च’ का आयोजन किया गया था, जो रात को श्यामबाजार में समाप्त हुआ। इस मार्च में एक बच्ची की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई, जिसमें उसकी सफेद टी-शर्ट पर एक आंख से खून बहते हुए दिखाया गया था और उसके नीचे लिखा था, ‘इस बार की हर प्रतिमा, तिलोत्तमा तिलोत्तमा।’ इसी संदेश के साथ जूनियर डॉक्टरों ने आगामी दुर्गा पूजा के दौरान अपने आंदोलन को और अधिक प्रभावी बनाने का निर्णय लिया है।
सोशल मीडिया पर इस आंदोलन को लेकर पहले से ही चर्चा शुरू हो गई है, जहां लोग लिख रहे हैं, ‘फेस्टिवल ऑफ प्रोटेस्ट…कमींग सून’ यानी ‘आंदोलन का उत्सव…जल्द ही आ रहा है।’
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