एक्शन फिल्मों में आतंकियों के हमले में पुलिस प्रशासन के लोग एक घर के अंदर छुप कर अपनी जान बचाते हैं और बाद में बड़ा ऑपरेशन चलाकर उन्हें सुरक्षित बचाया जाता है। इस पूरी वारदात के दौरान फंसे हुए लोगों की जान हथेली पर रहती है और कब कौन मारा जाएगा, कोई नहीं जानता। ऐसा ही दृश्य लोकतंत्र का उत्सव कहे जाने वाले पंचायत चुनाव की मतगणना में पश्चिम बंगाल में 11 और12 जुलाई की दरमियानी रात देखने को मिला।
बमबारी, गोलीबारी आगजनी, तोड़फोड़
दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में एक मतगणना केंद्र के अंदर स्थानीय बीडीओ, बीडीओ ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और तृणमूल नेता अराबुल इस्लाम सहित अन्य लोग रात भर अपनी जान को हथेली पर रखकर फंसे रहे। एक-एक पल जब गुजर रहा था और लगातार बमबारी, गोलीबारी आगजनी, तोड़फोड़ हो रही थी तो यहां फंसे लोग यही सोच रहे थे कि संभवतः यह रात उनके जीवन की आखिरी रात है। यहां स्थानीय अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक और उनके बॉडीगार्ड को भी गोली लगी है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है।
आईएसएफ के दो कार्यकर्ताओं कीभी मौत
दावा किया जा रहा है कि गोली लगने की वजह से आईएसएफ के दो कार्यकर्ताओं की भी मौत हुई है। जैसे- तैसे रात गुजरने के बाद सुबह के समय आईपीएस अधिकारी सिद्धि नाथ गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस टीम ने इन सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए अभियान चलाया और मतगणना केंद्र के अंदर से तृणमूल नेता अराबुल इस्लाम सहित बीडीओ, और दफ्तर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अंदर से गोलियों से छलनी हुए एक व्यक्ति को भी निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया है।
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पुलिस ने साधी चुप्पी
दावा किया जा रहा है कि वह आईएसएफ का कार्यकर्ता है। पार्टी ने अपने एक और कार्यकर्ता की गोली लगने से मौत का दावा किया है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में रातभर हुई हिंसा में 20 से अधिक पुलिस गाड़ियों में आग लगा दी गई है।