उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को विधानसभा (Assembly) में पारित कर दिया है। इसमें खामियां ढूंढने और इसे कानून (Law) में बदलने का काम अब शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) अब इस कानून का विरोध (Protest) करने की तैयारी में है। विभिन्न मुस्लिम संगठनों (Muslim Organizations) ने मुसलमानों से 10 से 12 फरवरी तक दो दिनों के लिए ओडिशा (Odisha) के पिंजरपुर में इकट्ठा होने का आह्वान किया है। इसलिए जिस तरह केंद्र के सीएए कानून के खिलाफ मुसलमानों ने दिल्ली (Delhi) के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में तीन महीने तक सड़क जाम कर रखी थी, बताया जा रहा है कि यहां के मुसलमानों ने उसी आंदोलन को दोहराने की साजिश रची है।
इस अधिनियम ने विवाह, तलाक और विरासत के महत्वपूर्ण मामलों पर सभी धर्मों के बीच एकमतता लायी। इसलिए मुसलमानों ने उनका विरोध किया है। वर्तमान में मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लागू है। उसमें मौजूद प्रावधान और समान नागरिक संहिता के प्रावधान काफी अलग हैं। इसलिए मुसलमानों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। समझा जाता है कि ओडिशा में मुसलमानों के संगठन ऑल ओडिशा इज्तेमा कमेटी ने मुसलमानों से 10 से 12 फरवरी तक दो दिनों के लिए पिंजरपुर में विरोध प्रदर्शन के लिए अपने परिवारों के साथ इकट्ठा होने का आह्वान किया है।
सरकारी तंत्र को घेरने की कोशिश
संभावना है कि इस जगह पर कम से कम 1 लाख मुस्लिम जुटेंगे। इस आंदोलन में भाग लेने वालों के लिए भोजन, नाश्ता, पानी और आवास उपलब्ध कराया गया है। ऐसा लगता है कि जिस तरह मुसलमानों ने शाहीन बाग में धरना देकर पूरे सरकारी तंत्र को घेरने की कोशिश की थी, वही रणनीति इस बार भी अपनाई गई है।
उत्तराखंड में सांप्रदायिक दंगे शुरू
गौरतलब है कि दिल्ली में शाहीन बाग आंदोलन के दौरान दिल्ली में बहुत बड़ा सांप्रदायिक दंगा हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू घरों और दुकानों को जला दिया गया था और कुछ हिंदू भी मारे गए थे। उत्तराखंड में दंगे शुरू हो चुके हैं। समान नागरिक संहिता पारित होते ही मुसलमानों ने हंगामा शुरू कर दिया। हल्द्वानी में बनफूल पुरा इलाके में अवैध मदरसे और मस्जिद पर जब प्रशासन की गाज गिरी तो उन्होंने आगजनी और हिंसा की। इस दंगे में 4 लोगों की मौत हो गई और 50 पुलिसकर्मियों समेत 100 अन्य घायल हो गए।
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