मुंबई स्थित आदर्श सोसाइटी घोटाले को उजागर हुए लगभग 22 वर्ष हो चुके हैं। इतने वर्षों से यह इमारत बनकर तो तैयार हैं, लेकिन फिलहाल यहां न बिजली है और न पानी कनेक्श। इसके साथ ही अन्य तकनीकी और न्यायालीन समस्याओं के कारण यह सोसाइटी आज भी खाला पड़ी है। इन 12 वर्षों में न इनके रखरखाव हुआ है और न कोई अन्य काम हुए हैं। इस स्थिति में इसके अगले कुछ वर्षों में खंडहर होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
आदर्श सोसाइटी घोटाला 2010 में उजागर हुआ था। इस घोटाले के कारण अशोक चव्हाण को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडनी पड़ी थी और इसकी कीचड़ पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे पर भी पड़ी थी। 31 मंजिला 102 फ्लैटवालों वाली इस इमारत के घोटाले में 22 बेनामी लेनदेन का मामला उजागर हुआ था। इसमें 12 आईएएस अधिकारियों का नाम सामने आए थे। इन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप था। मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय को गिराने का भी आदेश दिया था।
एसआईटी जांच में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम उजागर
2011 में इस हाई प्रोफाइल घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए थे। राज्य सरकार ने जस्टिस जेए पाटील की अध्यक्षता में दो सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसमें 182 लोगों से पूछताछ हुई थी और वर्ष 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। जांच में लगभग 22 फ्लैट गैरकानूनी तौर पर एलॉट करने की जानकारी मिली थी। इनमें 22 फ्लैट फर्जी नाम से खरीदे गए थे। आयोग की रिपोर्ट में 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम उजागर हुए थे।
2019 में फिर चर्चा में आया मामला
2017 तक इस घोटाले की काफी चर्चा रही थी, लेकिन उसके बाद यह मामला शांत हो गया था। लेकिन 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन से पहले एक बार फिर ये मुद्दा चर्चा में आ गया था। महाविकास आघाड़ी सरकार के शपथ ग्रहण से पहले खबर आई थी कि प्रवर्तन निदेशालय ने अशोक चव्हाण की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
अशोक चव्हाण की मुश्किलें बढ़ने की चर्चा
इसका कारण यह बताया गया था कि चव्हाण के खिलाफ ईडी फिर से आदर्श सोसाइटी घोटाले की जांच शुरू करने जा रही है। चव्हाण को आदर्श सोसाइटी घोटाला उजागर होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
दरअस्ल 27 नवंबर 2019 को कोलाबा स्थित आदर्श सोसाइटी में ईडी की टीम पहुंची थी और वहां जाकर जांच शुरू की थी। हालांकि ईडी ने बाद में स्पष्ट किया था कि इस तरह की कोई जांच शुरू नहीं की जा रही है।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
- नवंबर 2010 में आदर्श घोटाला उजागर हुआ। सीबीआई ने जांच शुरू की।
- 29 जनवरी 2011 को सीबाई ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 14 लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया।
- 4 जुलाई, 2012 को सीबीआई ने इस मामले में पहला शपथ पत्र एजेंसी की विशेष न्यायालयय में दाखिल किया।
- दिसंबर 2013 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन ने अशोक चव्हाण के विरुद्ध केस चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- जनवरी 2014 में सत्र न्यायालय ने सीबीआई की सिफारिश पर बतौर आरोपी अशोक चव्हाण का नाम मामले से हटाने से इनकार कर दिया।
- मार्च 2015 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुकदमे से नाम हटाने का अनुरोध करने वाली चव्हाण की याचिका को निरस्त कर दिया।
- अक्टूबर 2015 को सीबीआई ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्राप्त करने के लिए राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को प्रमाण सौंपे।
- फरवरी 2016 को राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दे दी। राज्यपाल के इस आदेश के खिलाफ चव्हाण ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
- 22 दिसंबर, 2017- उच्च न्यायालय ने चव्हाण की याचिका स्वीकार की। उनके खिलाफ मुकदमा की अनुमति देने के राज्यपाल के आदेश को निरस्त कर दिया।