मायानगरी से क्यों रूठे हीरे?

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मुंबई। कभी मुम्बई की शान कहे जाने वाले डायमंड बाजार की रौनक अब फीकी पड़ने लगी है। लगातार घटते ग्राहकों के चलते लोग अब डायमंड कारोबार से दूरी बनाने लगे हैं। एक वक्त था, जब मुम्बई में हीरे का कुल कारोबार प्रति वर्ष डेढ़ लाख करोड़ हुआ करता था लेकिन पिछले 5 से 6 साल से यह कारोबार आधा रह गया है । हीरे की घटती मांग और बढ़ते खर्च के चलते हीरा व्यापारी इन दिनों काफी बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं।
मुंबई में कारोबार करना मुश्किल
मुम्बई शहर में लगातार मंहगें होते हीरे के रॉ मटेरियल और बढ़ते लेबर कॉस्ट के चलते हीरा व्यपारियों का यहां टिकना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि करीब 6 हजार हीरा व्यापारियों ने मुंबई से अपने कारोबार को समेट कर गुजरात के सूरत में बसने की तैयारी कर ली है। बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में बने भरत डायमंड बोर्स की तरह ही सूरत में भी एक बड़ा डायमंड हब बनाया जा रहा है, जहां हीरा व्यापारियों ने अपने कारखाने खोल कर कारोबार करने की योजना बनाई है।
लेबर कॉस्ट काफी ज्यादा
डायमंड व्यापारी दिलीप भाई का कहना है कि मुम्बई शहर में लेबर कॉस्ट सूरत की तुलना में काफी ज्यादा है और ज्यादातर डायमंड के कारीगर सूरत में ही रहते हैं । यहां से कच्चे डायमंड को सूरत भेजना फिर पॉलीस कर उसे सेट में पिरोना और उसके बाद फिर मुम्बई लाना काफी महंगा पड़ता है। इससे अच्छा है कि वहीं कारोबार करें।
व्यापार में बढ़ जाती है लागत
मुम्बई शहर दिनोंदिन काफी महंगा होता जा रहा है। यहां ऑफिस के भाड़े, ट्रांसपोर्ट और बिजली बिल छोटे शहरों की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। खास कर मुम्बई शहर में लेबर कॉस्ट काफी ज्यादा होने के कारण किसी भी कारोबार में लागत बढ़ जाती है। इसके चलते मुम्बई के कई व्यापारी अपना बिजनेस यहां से समेट रहे हैं।
मुश्किल दौर में हीरा व्यापार
ज्वेल मेकर्स वेलफेयर असोसिएशन के वाईस प्रेसिडेंट संजय शाह के अनुसार मुम्बई में महंगाई के चलते हीरा कारोबार मुश्किल दौर से गुजर रहा है। निर्यात कम होने के चलते पिछले कुछ साल से बजार सुस्त पड़ा है। ऐसे में व्यापारियों के सामने ऑफिस का भाड़ा देना मुश्किल हो गया है। कम्पीटीशन के इस दौर में अगर बाजार में टिके रहना है तो अपनी लागत को कम करना होगा, वरना अंतरराष्ट्रीय बाजार में हम नही टिक पाएंगे ।अपनी लागत को कम करने के लिए डायमंड के व्यपारी सूरत जा रहें है । हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि सूरत जाने वाले ज्यादातर हीरा व्यपारियों का कारोबार मुम्बई और सूरत दोनों शहरों मे है। इस वजह से उन्हे संभालना मुश्किल हो रहा है, जिसके चलते वे सूरत की तरफ रुख कर रहे हैं।

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