यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को आज वर्चुअली संबोधित किया। जेलेंस्की ने कहा कि रूस के हवाई आक्रमण से यूक्रेन के निरीह और असहाय लोग प्रतिदिन मारे जा रहे हैं और उन्हें तत्काल मदद के लिए यूक्रेन के हवाई मार्ग को नो फ्लई जोन घोषित करने की नितांत आवश्यकता है।
16 मार्च को अमेरिका के कांग्रेस को संबोधित करते हुए जेलेंस्की भावुक हो गए। नम आंखों के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से अंग्रेजी के कुछ शब्दों में कहा कि “आप विश्व लीडर हैं और अब आपको विश्व में शान्ति का अग्रदूत बनना है।
सांसदों की आंखें हो गईं नम
इससे पूर्व जैसे ही जेलेंस्की ने यूक्रेनी भाषा में अपना उद्बोधन शुरू किया, सदस्यों ने खड़े हो कर उनका अभिवादन किया। जेलेंस्की के उद्बोधन के समय कई सांसदों की आंखें नम हो गईं। कांग्रेस सदस्यों का भावुक हो जाना बाइडेन पर यूक्रेन को लड़ाकू विमान और सैन्य साज सामान देने लिए दबाव बढ़ने का संकेत भी हो सकता है। उल्लेखनीय है कि जो बाइडन 24 मार्च को नाटो शिखर सम्मेलन और यूरोपीय शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे।
11 सितम्बर 2001 के हमले की दिलाई याद
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिकी कांग्रेस को याद दिलाते हुए कहा कि आप याद करें जब 11 सितम्बर 2001 में आपके कुछ शहरों पर हवाई आक्रमण हो रहा था और उसे लेकर चारों ओर भय एवं आतंक का माहौल था। आज यूक्रेन की जनता पिछले तीन सप्ताह से हर रोज रूसी आक्रमण के भय और आतंक के साये में जी रही है।
सांसदों से किया यह आग्रह
अमेरिका के शांति अग्रदूत मार्टिन लूथर किंग के “अमेरिका महान” के स्वप्न का स्मरण कराते हुए यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने भी ऐसा सपना देखा था, लेकिन रूस उनके इस सपने की तरह समग्र यूक्रेनी जनता के सपने को धूल धूसरित करने में लगे हैं। जेलेंस्की ने अमेरिकी सांसदों से आग्रह किया कि वे रूस के ऐसे सभी व्यक्तियों, कम्पनियों और नेताओं पर प्रतिबंध लगा दें ताकि दाने दाने के मोहताज हो जाएं। उनका कहना था कि रूस पर दबाव के लिए यह ज़रूरी है कि वह एक-एक पैसे के लिए तरस जाए।
ऐतिहासिक माना जा रहा है संबोधन
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सभापति नैन्सी पेलोसी ने 16 मार्त की सुबह 9 बजे दोनों सदनों के सांसदों से यूक्रेनी राष्ट्रपति का परिचय यूक्रेनी शब्द “सलावा यूक्रेन” से किया। अमेरिकी मीडिया में यूक्रेन राष्ट्रपति के उद्बोधन को कांग्रेस में विश्व नेताओं के भाषणों की कड़ी में इसे ऐतिहासिक माना जा रहा है।