भारतीय खेलों में अब तक क्रिकेट का वर्चस्व है, इसका जुनून देश की सड़कों सूना करने की क्षमता रखता है। परंतु, अब इस प्रणाली में बड़ा बदलाव आने की आशा जगने लगी है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री ने खुद को खिलाड़ियों से सीधे जोड़ दिया है। इसका परिणाम भी दिखा टोक्यो ओंलंपिक में। भारत सरकार ने इस लीक पर चलकर कई महत्वपूर्ण कार्य किया है और कर रही हैं।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 7 पदक अपने नाम किए। भारत ने 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदकों के साथ ओलंपिक का समापन किया। यह अब तक ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वहीं, टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया। अबकी बार भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक जीतकर 24वां स्थान हासिल किया। इसके पीछे जो कारण हैं उन्हें जानना आवश्यक है।
- प्रधानमंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला
खेल प्रतियोगिताओं के पहले उसके दौरान और खेल प्रतियोगिताओं के बाद प्रधानमंत्री खिलाड़ियों से संवाद करते हैं, जिससे उनका हौसला बढ़ता है। - खेलो इंडिया कार्यक्रम से खिलाड़ियों को मिली बेहतर सुविधाएं
पहले स्कूल और कॉलेज स्तर पर खिलाड़ियों को उचित वातावरण नहीं मिलता था, लेकिन जब से प्रधानमंत्री मोदी ने खेलों इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की माहौल एकदम से बदल गया। खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत स्कूल और कॉलेज स्तर के खिलाड़ियों को एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों के बराबर सुविधाएं दी गईं। खिलाड़ियों को फोर स्टार होटल और हवाई यात्रा जैसी सुविधाएं मिलने लगीं।खेलों इंडिया के तहत प्रत्येक वर्ष एक हजार खिलाड़ी चुने जाते हैं, जिन्हें अगले 8 वर्षों तक प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये तक की स्कॉलरशिप प्रदान की जाती हैं, जिससे वे अपनी तैयारी कर सकें। खेलो इंडिया के नाम से मंत्रालय ने खेलो एप प्रारम्भ किया। खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों की सुविधा के लिए देश के 13000 स्टेडियम और खेल मैदानों को जोड़ कर उनकी लोकेशन को साझा किया। - खिलाड़ियों को मिलने लगीं आर्थिक सुविधाएं
⇒ 2014 में प्रधानमंत्री बनते ही मोदी ने एक ओलंपिक टास्क फोर्स बनाई जिसमें विशेषज्ञों को रखा गया। खिलाडियों को अन्य सुविधाओं के साथ ही सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों को 50,000 रूपये और जूनियर खिलाडियों को भी 10,000 रूपये पॉकेट अलाउन्स प्रतिमाह दिया जाना प्रारम्भ किया गया। साई ने जनवरी से मार्च 2022 तक के लिए पॉकेट अलाउंस के रूए में जारी किए 7.22 करोड़ रुपये।⇒ भारतीय खेल प्राधिकरण ने 21 विषयों में कुल 2509 खेलो इंडिया एथलीटों (केआईए) के लिए जनवरी से मार्च 2022 तक आउट ऑफ पॉकेट अलाउंस (ओपीए) के रूप में कुल 7.22 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिनमें पैरा एथलीट भी शामिल हैं।⇒ वार्षिक खेलो इंडिया छात्रवृत्ति योजना के अनुसार मान्यता प्राप्त अकादमियों में प्रत्येक आवासीय एथलीट प्रशिक्षण के लिए 6.28 लाख रुपये की वित्तीय सहायता आवंटित की जाती है। इसमें 1.20 लाख रुपये का आउट ऑफ पॉकेट अलाउंस शामिल है।⇒ साई ने एक बयान में कहा, “ओपीए (सालाना 1.20 लाख रुपये) सीधे एथलीट के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जबकि शेष राशि एथलीट के प्रशिक्षण, भोजन, आवास और शिक्षा पर खेलो इंडिया अकादमी में खर्च की जाती है, जहां एथलीट ट्रेन करता है। इसमें गृहनगर की यात्रा, घर पर आहार शुल्क और एथलीटों द्वारा किए गए अन्य विविध खर्च भी शामिल हैं।” - कोच को आर्थिक सहायता
यूपीए सरकार के समय कैप लगी हुई थी कि किसी भी भारतीय कोच को एक लाख रूपये से अधिक नहीं दिया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने उस कैप को हटाया और आज तीन लाख रूपये तक भारतीय कोच को दिया जाता है। - खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए खेलों से जुड़ा विज्ञान
खिलाडियों का खेलों में बेहतर प्रदर्शन हो इसके लिए विज्ञान को खेलों से जोड़ा गया। नेशनल सेंटर ऑफ स्पोर्ट साईंस दिल्ली में तैयार हो रहा है। नेशनल स्पोर्ट यूनिवर्सिटी मणिपुर में शुरू की गई। साथ ही स्पोर्ट्स साइंटिस्ट को भी टीमों के साथ जोड़ा जा रहा है।