अजेय रहो अजिंक्य!

टीम के स्टार खिलाड़ियों के नहीं खेलने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया जैसी स्ट्रॉन्ग टीम पर रहाणे की कप्तानी में जीत टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। उनकी आगे की कामयाबी की दुआएं मांगी जा रही हैं। उन्हें आंजिक्य रहाणे यानी जीतते रहने की कामना की जा रही है।

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भारतीय क्रिकेटर अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में मलबर्न में टीम इंडिया की जीत देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चा  का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया पर भी रहाणे छाये हुए हैं। नामचीन हस्तियों के साथ ही आम लोग भी उनकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। टीम के स्टार खिलाड़ियों के नहीं खेलने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया जैसी स्ट्रॉन्ग टीम पर रहाणे की कप्तानी में जीत टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। उनकी आगे की कामयाबी की दुआएं मांगी जा रही हैं। उन्हें आंजिक्य रहाणे यानी जीतते रहने की कामना की जा रही है। सच में,अजिंक्य रहाणे की कप्तानी, शुभमन और सिराज के शानदार डेब्यू ने इस मैच को ऐतिहासिक बना दिया है।

सीरीज 1-1 से बराबरी पर
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए चार टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में 1-1 से बराबरी हासिल कर ली है। एडिलेड में खेले गए सीरीज के पहले मैच के बाद भारत के नियमित कप्तान विराट कोहली पैटर्ननिटी लीव पर स्वदेश लौट गए थे। उसके बाद इस मैच की कप्तानी अंजिक्य रहाणे ने संभाली। उन्होंने विराट कोहली और मोहम्मद शमी जैसे स्टार खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में टीम इंडिया को जीत दिलाकर टीम इंडिया के लिए खुद को  कप्तानी के लिए विकल्प के रुप में साबित किया है। उनकी कप्तानी में इस जीत ने विश्व को यह संदेश दिया है कि टीम इंडिया किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं करती। टीम के साथ ही इस जीत के लिए आजिंक्य की भी खूब प्रशंसा हो रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि पिछले काफी समय से खराब दौर से गुजर रहे विराट कोहली की जगह भविष्य में आजिंक्य टीम इंडिया की कमान संभाल सकते हैं।

रहाणे की दमदार कप्तानी
एडिलेड में टीम इंडिया में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में मात्र 36 रन बनाए गए थे और शर्मनाक तरीके से आठ विकेट से मैच हार गई थी। इसके बाद विराट मैटरनिटी लीव पर स्वदेश लौट आए थे। इस हालत में रहाणे ने जिस तरह का नेतृत्व किया, वह यादगार बन गया। वर्षों तक इनकी इस दमदार कप्तानी की चर्चा होती रहेगी। टूटे हुए मनोबल के साथ जिस तरह का हौसला देकर उन्होंने मैच में जीत दिलाई, उसके लिए भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में उनकी चर्चा है।
टॉस जीतने के बाद मैच में ऑस्ट्रेलिया पहले बल्लेबाजी करने उतरी। उसके बाद रहाणे ने मैदान में जिस तरह से गेंदबाजी में बदलाव किए और फील्ड पर खिलाड़ियों को सेट किया, उसने उनकी काबिलियत साबित कर दी। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि उनमें कप्तानी के सभी खासियत मौजूद हैं। यही नहीं, उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाकर टीम के मनोबल को आसमां में पहुंचा दिया और टीम  के स्कोर को  300 के पार पहुंचने में महत्वपूर्ण रोल निभाया।

डेब्यू करनेवाले शुभमन और सिराज चमके
इस मैच से डेब्यू करनेवाले शुभमन और सिराज ने पहली पारी में मार्नस और कौमरोन ग्रीन के अहम विकेट झटके, इसके बाद दूसरी पारी में उन्होंने ट्रैविस हेड, कोमरोन ग्रीन और नाधन लायन को भी पैवेलियन भेज दिया। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के दौरान उमेश यादव चोटिल हो गए और महज 3.3 ओवर की ही गेंदबाजी कर सके। उनके मैदान से बाहर जाने के बाद जसप्रीत बुमराह की अगुआई में सिराज ने शानदार गेंदबाजी की। वहीं शुभमन गिल ने पहली पारी में 45 और दूसरी पारी में नॉट आउट 35 रनों की दमदार पारी भी खेली।

नहीं खेल रहे थे स्टार खिलाड़ी
इस मैच की हाई लाइट ये है कि विराट कोहली, मोहम्मद शमी, रोहित शर्मा और ईशांत शर्मा जैसे स्टार क्रिकेटर्स नहीं खेल रहे थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने जिस तरह ऑस्ट्रेलिया को उसी की जमीन पर धूल चटाई, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। विराट की मैटरनिटी लीव पर स्वदेश लौटने के बाद यह चर्चा हो रही थी कि टीम इंडिया की 4-0 से हार निश्चत है,लेकिन अजिंक्य की कप्तानी में टीम इंडिया ने लाजवाब प्रदर्शन कर जहां उनकी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया, वहीं क्रिकेट जगत के साथ ही दर्शकों में भी उम्मीद की एक नई किरण जगा दी।

जडेजा ने दिखाया दम
रविंद्र जडेजा पिछले कुछ समय में अपनी बल्लेबाजी को लेकर काफी चर्चा में हैं। इस मैच में भी उन्होंने अहम मौके पर कप्तान रहाणे का साथ निभाया और टीम इंडिया को पहली पारी में 100 से ज्यादा रनों की बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जडेजा ने अर्धशतक लगाकर और साथ ही अच्छी गेंदबाजी कर टीम का हौसला बढ़ाए रखा। उ्होंने पहली पारी में एक और दूसरी पारी में दो विकेट लिए।

डीआरएस को लेकर बवाल और सुधरी हुई फील्डिंग
पहले टेस्ट मैच में टीम इंडिया की फील्डिंग बहुत खराब रही थी। मलबर्न में फील्डिंग काफी चुस्त रही। इसके आलावा दूसरे टेस्ट में डीआरएस और तीसरे अंपायर के फैसलों को लेकर काफी विवाद हुए। क्रिकेट के भगवान कहे जानेवाले सचिन तेंडुलकर ने भी आईसीसी से मांग की है कि डीआरए पर खास अंपायर्स कॉल को लेकर गंभीरता से काम करना चाहिए।

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