टीम एफआईएच हॉकी पुरुष विश्व कप 2023 में दिखाई पूरा दम-खम

1980 के मॉस्को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे गुरमेल सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वाले हार्दिक ने हॉकी पुरुष विश्व कप 2023 के लिए बड़ी बात कही है।

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भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए आने वाले कुछ महीने व्यस्त हैं, जिसमें जनवरी में एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2022/23 और फिर एफआईएच ओडिशा हॉकी पुरुष विश्व कप शामिल हैं। इन टूर्नामेंटो से पहले भारतीय मिडफील्डर हार्दिक सिंह का कहना है कि टीम एक गहन प्रशिक्षण शिविर के दौरान पर्दे के पीछे काफी अच्छी तरह से तालमेल बिठा रही है।

हार्दिक, जो अपना दूसरा विश्व कप खेलने के लिए तैयार हैं, ने हॉकी इंडिया द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला हॉकी से चर्चा में कहा कि उनका परिवार बहुत उत्साहित है और मैदान पर मैच देखने की योजना बना रहा है।

हार्दिक मानते हैं कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, उन्होंने कहा, “हर कोई एफआईएच ओडिशा हॉकी पुरुष विश्व कप 2023 को लेकर बहुत उत्साहित है। हमने पिछली बार अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन अब टोक्यो ओलंपिक 2021 के बाद भारतीय हॉकी के लिए चीजें बदल गई हैं। हमारी टीम से उम्मीदें हैं और हम फाइनल में जगह बनाने और इसे जीतने में सक्षम हैं। इस साल सफलता पाने के लिए पूरी टीम बहुत भूखी है और हम इस भूख को पोडियम पर खत्म करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “एफआईएच ओडिशा हॉकी पुरुष विश्व कप 2023 में सभी टीमों के खिलाफ खेलना मुश्किल होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरी तरफ की टीम कौन है। आप यह नहीं कह सकते कि क्या होगा, और हम प्रत्येक मैच के साथ वैसा ही व्यवहार करने जा रहे हैं जैसे हम फाइनल में खेल रहे हैं।”

1980 के मॉस्को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे गुरमेल सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वाले 24 वर्षीय हार्दिक ने कहा, “हमारा शिविर अच्छा चल रहा है और हम अपने फिटनेस पर बहुत काम कर रहे हैं। हर दिन एक कठिन सत्र होता है और भले ही हमारा दिन कठिन हो, फिर भी हमें उस सत्र से गुजरना पड़ता है। यह कैंप ऐसा ही रहा है लेकिन हमें अपना काम करना है और यह अभी भी हमारे लिए काफी मजेदार कैंप है।”

उन्होंने कहा, “मेरे लिए हॉकी हमेशा पहली पसंद थी। जब मैं 6 साल का था, तब मेरे पिता ने मुझे हॉकी से परिचित कराया और मेरे दादा भी हॉकी खिलाड़ी थे और वह नेवी टीम में कोच थे। यहीं से मेरी रुचि विकसित हुई, और मेरे परिवार में अन्य लोग भी थे जो खेलते थे, और हम उन्हें खेलते देखने जाते थे। इस तरह मैंने खेल के लिए प्यार विकसित किया।”

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