बांग्लादेश हमारे देश के पूर्वी हिस्से में बसा एक देश है। यह सभी जानते हैं, लेकिन एक बांगलादेश मुंबई के पास में बसता है यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे। मुंबई महानगर क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले भायंदर के उत्तन में बांगलादेश बसा है। यह नाम प्रशासन ने सभी कागजों पर स्वीकार भी लिया है। इसे प्रशासनिक लापरवाही का काला चेहरा कहा जाए या देश द्रोह यह सबसे बड़ा प्रश्न है।
मुंबई की सीमा बार करते ही शुरू हो जाता है मीरा भायंदर क्षेत्र। इसे छोटी मुंबई कहते हैं, मुंबई में नौकरी व्यवसाय करने वाले मध्यम वर्गीय इस छोटे शहर में बसे हैं। इसकी जनसंख्या दस लाख से ऊपर ही होगी। इसी क्षेत्र में आता है उत्तन, जो समुद्री किनारा है। यहां एक खाली भूखंड हुआ करता था, जहां समयांतर में लोगों की बस्ती बन गई है। इस बस्ती को वह नाम दिया गया है, जिसे कोई भी राष्ट्राभिमानी भारतीय सुनना नहीं चाहेगा। इस बस्ती का नाम है बांगलादेश। यह मात्र दावा या आरोप नहीं है, यहां के लोगों के सरकारी कागज में ऐसा ही पंजीकृत है और आधार कार्ड यही कहता है।
यहां पर बड़ी संख्या में हिंदू और ईसाई पंथ के लोग रहते हैं। जिनके बिजली बिल पर पते के रूप में क्षेत्र का नाम बांगलादेश है।
आधार कार्ड और बिजली बिल पर नाम चढ़ने के बाद बस सेवा का बस स्टाप भी यही नाम दिखा रहा है।
आधार कार्ड, बस स्टाप, राशन कार्ड जैसे महत्वपूर्ण सेवाएं तो प्रशासन के अधीन हैं, जब कागजों पर बांगलादेश का नाम चढ़ाया जाता रहा है तो क्यों किसी अधिकारी को इस पर आक्षेप नहीं हुआ?
सरकारी नौकरी के चक्कर में भूल गए राष्ट्र निष्ठा?
बांगलादेश नाम पड़ने के पीछे बड़ी लापरवाही प्रशासन की रही है। जिसने इस क्षेत्र की पहचान को कागजों पर उतारकर पक्का कर दिया। इस पर किसी कर्मचारी को आक्षेप नहीं हुआ। अब जब यह प्रकरण सबके सामने आया है तो मीरा भायंदर के अतिरिक्त अनिकेत मानोरकर ने आश्वासन दिया है कि, संपूर्ण घटना की जांच की जाएगी और नाम बदलनी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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