कोविड 19 सेंटर में भ्रष्टाचार को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर रहा है। इस क्रम में ईडी ने मनपा अधिकारियों और शिवसेना (उबाठा) के सचिव सूरज चव्हाण के घर छापा मारा था। जिसमें महत्वपूर्ण जानकारियां जांच एजेंसी के हाथ लगी हैं। इसी के कारण अब ईडी की जांच की आंच मनपा आयुक्त के साथ-साथ अतिरिक्त आयुक्त (परियोजना) तक पहुंच गई है।
कोविड 19 संक्रमण काल में मनपा आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त (परियोजना) की मंजूरी से ही कार्य हो रहा था। सूत्रों के अनुसार ईडी की जांच में ऐसी जानकारी सामने आई है कि, तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही सरकार के मंत्रियों के निर्देश से ही अधिकारी कार्य कर रहे थे। इसे देखते हुए ईडी की जांच नेताओं के अलावा अधिकारियों को भी अपने घेरे में ले रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं अतिरिक्त आयुक्त संजीव जयस्वाल। जिनकी कोई भूमिका कोविड 19 सेंटर के कार्यों में नहीं थी। परंतु, ईडी की जांच में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
एसआईटी जांच के आदेश
कोविड 19 संक्रमण काल में अस्थाई कोविड 19 सेंटर बनाए गए थे। इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए के कार्यों को मंजूरी दी गई थी। इन कार्यों की जांच कैग (CAG) ने की थी। कैग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने जांच करने के लिए एसआईटी की नियुक्ती की है। यह जांच शुरू हो पाए उसके पहले ही ईडी ने कोविड 19 सेंटर भ्रष्टाचार के प्रकरण में संजय राऊत के नजदीकी सुजीत पाटकर से पूछताछ करने के बीच मनपा के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त संजीव जयस्वाल, शिवसेना (उबाठा) के सचिव सूरज चव्हाण, मनपा उपायुक्त रमाकांत बिरादर, मनपा के खरीदी विभाग के अधिकारी के घरों पर छापा कार्रवाई की गई है। जानकारी मिली है कि, इन सभी लोगों के घरों से मिली नकदी, कागज और व्हाट्स ऐप चैट को साक्ष्य के रूप में एकत्रित कर लिया गया है।
आयुक्त ने ले लिये थे अधिकार
17 मार्च 2020 को कोविड 19 से संबंधित सभी कार्यों के लिए निर्णय लेने और खरीदी के अधिकार मनपा आयुक्त ने अपने पास ले लिये थे। इसके लिए मनपा स्थाई समिति की मंजूरी भी ली गई थी। इसके अंतर्गत कनिष्ठ आयुक्तों को कोविड 19 बचाव संसाधन और औषधि खरीदने के लिए अधिकार दिये गए थे। इसी समय कोविड 19 सेंटर से संबंधित ठेके भी विभिन्न कंपनियों को दिये गए थे। जिसमें से लाइफ लाइन कंपनी को दिये गए ठेके में अनियमितता की बात सामने आई थी। लाइफ लाइन कंपनी सुजीत पाटकर की बताई जाती है। इस सभी को देखते हुए अब जांच की आंच मनपा आयुक्त तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
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