मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गृह जिला है ठाणे, जिसमें ठाणे महानगर पालिका के अधीन दिवा क्षेत्र आता है। इस महानगर पालिका में शिंदे समर्थक ही महापौर रहे हैं। लेकिन दिवा क्षेत्र में जल की समस्या किसी ने हल नहीं की। अब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं, इसे देखते हुए दिवा निवासियों ने आवाज उठाई है कि मुख्यमंत्री जी हमें पानी दो।
ठाणे जिले का विकास बहुत तेजी से हुआ है। पिछले बीस वर्षों में इस जिले ने जमीन से आसमान छूती इमारतों के रूप में प्रगति की है। लेकिन प्रगति का यह आलेख मात्र कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। प्रगति की दौड़ में उपेक्षित रहे क्षेत्रों में से है दिवा। जहां वर्षों से जीवन जल के बिना ही चल रहा है। ऐसी स्थिति में टैंकर माफिया सक्रिय है। ठाणे महानगर पालिका का जल विभाग मनमाने समय सारिणी से पानी देता है, जिसका लाभ लेकर टैंकर गिरोह मनमाने दाम में पानी बेंचता है।
मुख्यमंत्री से ही लगी आस
दिवा के निवासी रामेश्वर पाटील यहां वर्षों से रहते हैं, उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में ठाणे मनपा की लाइन में पानी कभी दो दिन बाद तो कभी चार दिनों बाद आता है। ऐसी परिस्थिति में सोसायटी को टैंकर से पानी खरीदना पड़ता है। टैंकर मालिक भी कभी 500 लीटर पानी का 500 रुपए लेता है तो कभी 700-800 रुपए।
इसी प्रकार तेजबहादुर बताते हैं कि वे मुंबई में नौकरी के लिए जब आए तो उन्होंने दिवा को ही अपना घर बनाया। लगभग पंद्रह वर्षों से रहने के काल में शहर का बहुत विकास हुआ है, लेकिन पानी की स्थिति गंभीर है। इन वर्षों में बहुत से नगरसेवक जीते, नए-नए दावे किये गए, लेकिन कोई खरा नहीं उतरा। उनके क्षेत्र में सप्ताह में एक या दो बार पानी आता है। अब आशा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनकी समस्या को सुनेंगे और समाधान करेंगे। मुख्यमंत्री के हाथ सर्वाधिकार होते हैं, यदि वे चाहें तो सबको बैठाकर दिवा वासियों के घरों में पानी दिलवा सकते हैं।
टैंकर माफिया और जल विभाग की साठगांठ
दिवा के निवासियों में टैंकर माफिया और ठाणे जलविभाग के कर्मचारियों के बीच मिलीभगत की आशंका है। लेकिन डर के मारे कोई अपना नाम बताने और बोलने को तैयार नहीं है। एक दो लोगों ने बात की तो उन्होंने अपना नाम न छापने की बात कही। स्थानीय निवासी कहते हैं कि ठाणे मनपा के जल विभाग के कर्मचारी और टैंकर गिरोह की मिलीभगत है। जल विभाग पाइप लाइन टूटने का बहाना बनाकर पानी नहीं छोड़ता है, जिसका सीधा लाभ टैंकर गिरोह को मिलता है।
बिन पानी सब सूना
दिवा में अब चमचमाती बहुमंजिला इमारतें दिखती हैं, लेकिन सूखे नलों के कारण सब सूना लगता है। नौकरी व्यवसाय करके एक छत खरीदकर राहत की सांस लेने की कोशिश करनेवाले मध्यम वर्गीय पानी के लिए परेशान हैं। वर्षों से इस समस्या का कोई समधान नहीं हुआ है। चाहे वह मातोश्री सदन हो, कश्मीरा प्लाजा हो, अष्ट विनायक चाल हो, मुंबा देवी कॉलोनी रोड या सुरेश नगर सभी जगह ऐसा ही हाल है।