सर्वोच्च न्यायालय ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया को 2021 में बम से उड़ाने की साजिश रचने और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या के मामले के आरोपित और पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
प्रदीप शर्मा की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी
सुनवाई के दौरान प्रदीप शर्मा की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि प्रदीप शर्मा की पत्नी की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। प्रदीप शर्मा की ओर से कहा गया था कि इस मामले में वह दो सालों से जेल में बंद है। याचिकाकर्ता की पत्नी का 2015 में गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी के लिए ऑपरेशन किया गया था। अभी उनको गंभीर समस्या है। उनका वजन 6 किलो कम हो गया है। शर्मा की ओर से मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत देने की मांग की गई।
सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि प्रदीप शर्मा की पत्नी नियमित रूप से अस्पताल में उनसे मिलने आती रही हैं। मेरे पास इसका रिकॉर्ड भी है।
बांबे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी जमानत याचिका
दरअसल, 23 जनवरी को बांबे उच्च न्यायालय ने शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसे उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। प्रदीप शर्मा को मुंबई का स्पेशल एनआईए कोर्ट भी जमानत देने से इनकार कर चुका है, जिसको बांबे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
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यह है मामला
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया को फरवरी 2021 में बम से उड़ाने की घटना की जांच कर रही एनआईए का आरोप है कि प्रदीप शर्मा उस गिरोह के सक्रिय सदस्य था, जिसने अंबानी सहित अन्य को डराने की साजिश रची थी। चूंकि हिरेन को अंबानी परिवार को डराने की साजिश का पता था, जिसके चलते उसकी मार्च 2021 में हत्या कर दी गई। एनआईए के मुताबिक शर्मा ही हिरेन की हत्या में मुख्य साजिशकर्ता था। उसने हिरेन की हत्या करने में अपने पूर्व सहयोगी सचिन वाझे की मदद की थी। इस मामले में उसे जून 2021 में गिरफ्तार किया गया था।