पालघर में जल प्रलय की स्थिति, नदियों ने पार किया खतरे का निशान

पालघर में जल प्रलय की स्थिति बनने का कारण ये भी है कि, यहां नदियों की स्थिति अधिक है। ये सभी नदियां मुंबई, ठाणे और पालघर जिले को पानी वितरित करनेवाले तालाबों से संबंधित हैं।

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पालघर बारिश

पालघर जिले में चार दिनों से हो रही लगातार बारिश ने जल प्रलय की स्थिति बन गई है, जिससे जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। शनिवार तड़के से बरसात के पानी से होने वाले जलभराव ने भारी रूप ले लिया है। जिले में सूर्या, पिंजाली, देहेर्जा, वैतरणा, गारगई नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं।

पालघर के जल प्रलय में देहेर्जा नदी पर ब्रम्हनगांव में बना पुल पानी में डूब जाने के कारण कांचाड-कुंज मार्ग पर सुबह से ही यातायात अवरुद्ध हो गया। पीक-गारगांव रोड पर यातायात रोक दिया गया है क्योंकि गरगई नदी पर शिलोत्तर में पुल पानी में डूब गया है। कांचाड-कुर्ज़े वाडा-विक्रमगढ़ तालुका को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण जिला सड़क है। इस मार्ग पर दो गांवों ब्राम्हणगांव-कुंरज़े के बीच देहेर्जा नदी पर एक पुल है। लेकिन इस पुल की ऊंचाई कम है, इसलिए मानसून के दौरान भारी बारिश के दौरान यह पुल हमेशा पानी में डूबा रहता है। कभी-कभी इस क्षेत्र के नागरिकों का चार-चार दिन तक तालुकाओं से संपर्क टूट जाता है। यहां के एक सामाजिक कार्यकर्ता किशोर शेलार ने पालघर के पालक मंत्री और लोक निर्माण मंत्री रवींद्र चव्हाण से इस पुल की ऊंचाई बढ़ाने का अनुरोध किया है।

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गारगई नदी की मूसलाधार बारिश में शिलोत्तर का पुल डूब गया है। जिससे इस मार्ग पर बस सेवा और अन्य यातायात ठप हो गया। सुबह 10 बजे तक पुल पानी में डूबा नहीं था, इसलिए अंबेपाड़ा, चिंचपाड़ा के छात्र एसटी बस से तालुका मुख्यालय स्थित स्कूल-कॉलेज गए। लेकिन सुबह 11 बजे के बाद यह पुल पानी में डूब गया। नदी में बाढ़ और पानी में पुल डूबे रहने के कारण यहां छात्रों, नागरिकों और सैकड़ों वाहनों को 5 से 6 घंटे तक नदी किनारे रुकना पड़ा।

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