सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक में चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई नौ मई तक के लिए टाल दिया है। राज्य सरकार ने सुनवाई टालने का आग्रह किया था। कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि फिलहाल नई नीति के आधार पर कोई भी दाखिला या नौकरी में भर्ती नहीं की जाएगी।
सरकार ने दिलाया है भरोसा
कनार्टक सरकार ने 13 अप्रैल को कोर्ट को आश्वस्त किया था कि मुस्लिम आरक्षण रद्द किए जाने के फैसले के मुताबिक राज्य में कोई दाखिला या नौकरी में भर्ती नहीं की जाएगी। 13 अप्रैल को कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में मुस्लिम आरक्षण समुदाय के लिए चार फीसदी आरक्षण के प्रावधान को खत्म कर दिया है। मुसलमानों के अब तक दिए जाने वाले चार फीसदी आरक्षण को वोक्कालिंगा और लिंगायत के बीच बांट दिया गया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मुस्लिम आरक्षण रद्द करने पर आरोप
याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार का मुस्लिम आरक्षण रद्द कर समुदाय को पिछड़े वर्ग की सूची से बाहर करने का फैसला संविधान का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि यह फैसला पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दिए गए किसी भी रिपोर्ट या सलाह पर आधारित नहीं है, क्योंकि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1995 के तहत एक वैधानिक रूप में इसे पास किया जाना जरूरी है। याचिका में राज्य सरकार के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।