Hindenburg: शटर डाउन हुआ हिंडनबर्ग, जानें क्या है पूरी कहानी

यह निर्णय संस्थापक नैट एंडरसन द्वारा लिया गया, जिन्होंने बताया कि हिंडनबर्ग ने अपनी योजनाओं को पूरा कर लिया है और अब इसे बंद करने का समय आ गया है।

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-आयुष सौरभ

Hindenburg: भारत (India) में 2023 में अडानी समूह (Adani Group) के खिलाफ स्टॉक हेरफेर (stock manipulation) और अकाउंटिंग धोखाधड़ी (accounting fraud) के आरोप लगाने के बाद दुनिया भर में सुर्खियों में आने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 16 जनवरी, 2025 को अपने विघटन (बंद होने) की घोषणा की।

यह निर्णय संस्थापक नैट एंडरसन द्वारा लिया गया, जिन्होंने बताया कि हिंडनबर्ग ने अपनी योजनाओं को पूरा कर लिया है और अब इसे बंद करने का समय आ गया है।

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एंडरसन ने बताया बंद करने का कारण
अपने बयान में, एंडरसन ने कहा, “हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उनकी पाइपलाइन पूरी होने के बाद इसे बंद करने की योजना थी। और जैसे कि पिछले पोंजी मामलों में हुआ था, जिन्हें हमने पूरा किया और नियामकों के साथ साझा किया, वह दिन आज है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके काम के परिणामस्वरूप “करीब 100 व्यक्तियों पर कम से कम आंशिक रूप से नियामकों द्वारा दीवानी या आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिनमें अरबपति और कुलीन वर्ग शामिल हैं।”

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हिंडनबर्ग रिसर्च का परिचय
2017 में स्थापित, हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी फर्म है, जो फोरेंसिक वित्तीय शोध में विशेषज्ञता रखती है। इस फर्म का उद्देश्य कंपनियों में लेखा-जोखा की अनियमितताओं, प्रबंधन में भ्रष्टाचार और अघोषित संबंधित-पक्ष लेनदेन को उजागर करना है। फर्म ने अपनी पहचान दुर्भावनापूर्ण और रहस्यमय स्रोतों से जानकारी जुटाने और उसे सार्वजनिक करने में बनाई है, जो कि व्यापारिक दुनिया में अक्सर हाइलाइट नहीं की जातीं।

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अडानी समूह के खिलाफ आरोप
हिंडनबर्ग का नाम सबसे पहले अडानी समूह के साथ जुड़ा, जब फर्म ने 2023 में रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें अडानी समूह पर “स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी” के गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट ने दावा किया था कि अडानी समूह दशकों से एक योजनाबद्ध तरीके से धोखाधड़ी कर रहा था और उसके वित्तीय स्वास्थ्य पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट के बाद, अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, हालांकि कुछ समय बाद वे ठीक भी हो गए थे। अडानी समूह ने इन आरोपों को नकारते हुए इसे “चुनिंदा गलत सूचना” और “पुराना आरोप” बताया था।

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रिश्वतखोरी के मामले में दोषी
इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2024 में, अडानी समूह को न्यूयॉर्क में अमेरिकी अभियोजकों द्वारा रिश्वतखोरी के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। हालांकि, समूह ने इन आरोपों से इनकार किया और अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखा।

इसके पीछे का कारण
हिंडनबर्ग रिसर्च के अचानक बंद होने के पीछे का कारण एंडरसन ने अपने बयान में स्पष्ट नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि उनका ध्यान अब “उस दुनिया और उन लोगों से दूर हो गया है, जिनकी उन्हें परवाह है।” एंडरसन ने बताया कि अब वह हिंडनबर्ग को अपने जीवन के एक अध्याय के रूप में देखते हैं, न कि एक केंद्रीय तत्व के रूप में।

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महत्व अब भी बरकरार?
विघटन की घोषणा के बावजूद, एंडरसन ने यह भी कहा कि आने वाले छह महीनों में वह अपने काम के प्रत्येक पहलू को ओपन-सोर्स करने और उन तरीकों की जानकारी साझा करने की योजना बना रहे हैं, जिनसे उन्होंने जांच की। इससे यह साफ है कि हिंडनबर्ग का प्रभाव और इसके द्वारा किए गए शोध का महत्व अब भी खत्म नहीं हुआ है।

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हिंडनबर्ग के अन्य प्रमुख प्रोजेक्ट्स
हिंडनबर्ग का सबसे प्रसिद्ध प्रोजेक्ट निकोल्ला और लॉर्डस्टाउन मोटर्स पर किए गए शोध थे। निकोला पर की गई रिपोर्ट ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी के संस्थापक पर आरोप लगाया था कि उसने टेस्ला को पकड़ने के लिए झूठे दावे किए थे, जिससे कंपनी के मूल्यांकन पर बड़ा असर पड़ा था। इसके बाद, निकोला ने 125 मिलियन डॉलर का जुर्माना भी चुकता किया था। हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट को लेकर एक व्यापक शॉर्ट पोजीशन भी ली थी, जो बाद में एक महत्वपूर्ण वित्तीय विवाद में बदल गई।

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असर बने रहने की संभावना
हिंडनबर्ग रिसर्च का विघटन एक बड़ा कदम है, जिसने इस फर्म की भविष्य की दिशा को प्रभावित किया है, लेकिन इसका असर दुनिया भर में बने रहने की संभावना है। अडानी समूह के खिलाफ किए गए आरोपों ने न केवल भारतीय बाजार को हिलाया, बल्कि वैश्विक वित्तीय जगत में भी इसकी गूंज सुनाई दी। जहां एक तरफ एंडरसन ने अपनी कंपनी को समाप्त करने का निर्णय लिया, वहीं उन्होंने यह संकेत भी दिया कि उनका काम अब भी बाकी है, और उनका प्रभाव जारी रहेगा।

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