देखते ही देखते पांच मंजिला अस्पताल हो गया धड़ाम….

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गोरेगांव का सिद्धार्थ अस्पताल 2019 से बंद था। जब कोरोना से सब जूझ रहे थे तब पश्चिमी उपनगर का ये अस्पताल बंद था। जिस स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों की 80 प्रतिशत क्षमता को कोरोनाग्रस्तों के लिए आरक्षित कर लिया था उसके पास अपने इस संसाधन सिद्धार्थ अस्पताल की तरफ देखने की सुध नहीं थी। इसके कारण जोगेश्वरी, मालाड, गोरेगांव के लोगों को काफी दूर-दूर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा था। अंतत: मनपा को इसकी सुध आई और इसकी जर्जर इमारत को गिरा दिया गया।

इस अस्पताल के बारे में कहें तो इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग कभी किया ही नहीं गया। एक दृष्टि डालते हैं इस अस्पताल की उस इमारत पर जो अब इतिहास हो गई।

इस अस्पताल के निर्माणकाल से इंतजार की लंबी भूमिका रही है। कभी उद्घाटन की तो कभी स्टाफ और संसाधन की।

लेकिन फिर एक बार शुरू हो गया हो गया है इंतजार नई इमारत के निर्माण के लिए…

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