महाराष्ट्र के नासिक में पुलिस अकादमी है। जहां महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास करके पुलिस प्रशीक्षण के लिए युवा जाते हैं। यहां से निकले प्रशिक्षु पुलिस उपनिरिक्षक के पद पर तैनात होते हैं।
26 मार्च, 2021 को महाराष्ट्र पुलिस अकादमी की 118वीं टुकड़ी का दीक्षांत समारोह था। इसके बाद यहां से निकलनेवाले प्रशिक्षु अधिकारी के रूप में राज्य में कानून का वर्तन करवाने की भूमिका निभाएंगे। लेकिन अपने उस कार्य के लिए ली गई शपथ की धज्जियां इन लोगों ने दीक्षांत समारोह से ही उड़ा दी है।
‘मरने पर बीस और विवाह में पचास’ ये सीमा है राज्य के आम नागरिकों के लिए इकट्ठा होने का। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक और सामाजिक कार्यों पर सीमाएं तय कर दी हैं। अब रविवार से रात का कर्फ्यू राज्य में लागू किया गया है। देश के कोरोना संक्रमण फैलानेवाले दस जिलों में से नौ महाराष्ट्र से है जबकि देश के कुल संक्रमितों की आधा से अधिक संख्या महाराष्ट्र से प्रतिदिन सामने आ रही है। लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र पुलिस अकादमी में विचित्र व्यवहार सामने आया है।
सैंय्या भए कोतवाल तो डर काहे का… इसकी प्रस्तुति महाराष्ट्र पुलिस अकादमी के नए नवेले अधिकारियों ने कर दी। खूब नाचे… एक-दो-तीन और नियमों की ऐसी-तैसी। यह तब हुआ जब वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम स्थल से निकल चुके थे। जब अंदर ये अधिकारी कमर लचका रहे थे तो बाहर जिले के पालक मंत्री छगन भुजबल, जिलाधिकारी सूरज मांढरे, नासिक महापालिका आयुक्त कैलाश जाध, पुलिस आयुक्त दीपक पांडे नागरिकों से कोरोना दिशा निर्देशों के पालन की अपील करते हुए सड़कों पर घूम रहे थे।
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