134 साल से विवादित अयोध्या के राम मंदिर पर एक वर्ष पहले 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा सर्वसम्मति से सुनाए गए इस फैसले के तहत अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए दे दी गई थी। 45 मिनट तक पढे गए 1045 पन्नों के फैसले से एक ऐतिहासिक और सदी पुराने विवाद को शांतिपूर्ण ढंड से समाधान निकाल दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य रुप से ये बातें कहींः
- ढहाया गया ढांचा भगवान राम का जन्म स्थान है,जिस पर निर्विवाद रुप से हिंदुओं की आस्था है
- तीन महीने में ट्रस्ट बनाकर इसकी आगे की योजना बनाई जाए
- मुस्लम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए, जो विवादित जमीन से लगभग दुगुनी है
40 दिन तक चली सुनवाई
इससे पहले 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पांच सदस्यीय संविधान पीठ
चीफ जस्टिस तरुण गोगोई, जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर