एक के बाद एक जघन्य अपराध मानवता को लगातार शर्मसार कर रहे हैं। इन अपराधों को देखने के बाद लगता है ये पिछले से भी जघन्य हैं। ऐसी ही एक घटना राजस्थान में हुई है। जहां मंदिर के पुजारी को लोगों ने भरे प्रहर (दिन दहाड़े) आग के हवाले कर दिया। इस घटना में पुजारी ने अपने प्राण गंवा दिये। ऐसी ही अन्य घटनाओं को देखें तो कहीं पहरे में तो कहीं भरे प्रहर सिस्टम के सामने लोगों के साथ अपराध घट रहे हैं।
राजस्थान में श्रीकृष्ण मंदिर के पुजारी को जमीन के विवाद में मार डाला गया। इस घटना ने उत्तर प्रदेश के हाथरस और महाराष्ट्र के पालघर की घटनाओं का स्मरण करा दिया। पालघर के गडचिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात जूना अखाड़े के महंत सुशील गिरी महाराज, कल्पवृक्ष गिरी और उनके ड्राइवर निलेश तेलगडे को सिस्टम ने भीड़ के हवाले कर दिया और हत्यारन भीड़ ने उनकी पीट पीटकर हत्या कर दी।
दूसरी घटना 29 सितंबर की हाथरस की है जहां प्रशासन पर आरोप है कि उसने पीड़ित युवती के शव का परिवार की सहमति के बगैर अंतिम संस्कार कर दिया। इस मामले में घटना के बाद दस दिन से ज्यादा समय तक सिस्टम सोता रहा और मामला तब उठा जब मीडिया और सियासतदानों का रेला गांव पहुंचने लगा। इसी प्रकार सिस्टम की कमजोरी का एक प्रमाण राजस्थान में देखने को मिला है। जहां करौली जिले के सपोटरा पुलिस थाने के अंतर्गत एक मंदिर के पुजारी को 7 अक्तूबर के दिन पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया गया। यह घटना बूकना गांव में मंदिर की जमीन के विवाद का था। एफआईआर के अनुसार मंदिर की भूमि पर कब्जा करने के लिए कैलाश, शंकर, नमो, रामलखन मीणा आदि छप्पर डाल रहे थे। इस बीच इन्हें जमीन के केयरटेकर और मंदिर के पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने रोका तो वहां रखी सूखी फसल के साथ पुजारी पर पेट्रोल छिड़ककर आरोपियों ने आग लगा दी। इस घटाना में पुजारी बुरी तरह झुलस गया। परिजनों ने पहले सपोटरा चिकित्सालय में पुजारी को भर्ती कराया, लेकिन स्थिति नाजुक होने पर उसे जयपुर रेफर कर दिया। जहां पुजारी की मौत हो गई।
इस घटना पर राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। राजस्थान की घटना हृदयविदारक है इसके बावजूद हाथरस के सियासतदान यहां चुप हैं और प्रशासन कार्रवाई करके अपने आपको राइट ट्रैक पर बताने में जुटा है।