-नरेश वत्स
Jharkhand Assembly polls: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में महाराष्ट्र (Maharashtra) और झारखंड (Jharkhand) दोनों राज्यों में इंडी गठबंधन (Indi alliance) का पलड़ा भारी रहा था। लेकिन हरियाणा (Haryana) में भाजपा (BJP) की तीसरी बार जीत (victory for the third time) और महाराष्ट्र में महायुति सरकार द्वारा लिए गए कई कल्याणकारी निर्णयों ने बाजी पलट दी है।
इसलिए महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी परिणाम राष्ट्रीय (Mahayuti government) राजनीति में भी साफ संकेत देंगे। अगले वर्ष 2025 में बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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हरियाणा में जीत से एनडीए उत्साहित
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव देश के दो बड़े गठबंधनों एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे राष्ट्रीय राजनीति में दोनों गठबंधनों के लिए बड़ा संकेत होंगे। वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन ने भाजपा को अपने दम पर बहुमत पाने से रोक दिया। लेकिन एनडीए गठबंधन को सत्ता में आने से नहीं रोक पाए। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत से एनडीए गठबंधन उत्साहित है।
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23 नवंबर के नतीजे काफी महत्वपूर्ण
जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस ने जीत हासिल की है। लेकिन इंडी गठबंधन के लिए यह जीत नाम के लिए है। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस ने महज 6 सीटें जीती हैं और सत्ता से बाहर है। 23 नवंबर को आने वाले महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि देश की राजनीति में किस गठबंधन का बोलबाला रहेगा।
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शिंदे सरकार की योजनाओं का असर
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। इसका विधानसभा चुनाव में असर साफ देखा जा रहा है। लाड़की बहिण योजना की खूब चर्चा हो रही है। समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं है, जिस पर योजनाओं और वादों की बारिश ना की गई हो। मतदाताओं को लुभाने के लिए महाविकास आघाड़ी यानि इंडी गठबंधन ने भी लोक लुभावन वायदों की झड़ी लगाई है।
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हरियाणा में हार का इंडी पर असर
भाजपा ने उदारता दिखाते हुए सबसे बड़ा दल होने के बावजूद शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया और अपने सहयोगी दल शिवसेना को सीटें भी अधिक दीं। भाजपा को अपने सहयोगी दलों को महत्व देने का लाभ मिलना तय है। दूसरी तरफ हरियाणा में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी को साथ नहीं लिया है, जिसका नुकसान उसे तीसरी बार लगातार वहां हार का मुंह देखना पड़ा। इसलिए हरियाणा में अपनी हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को उससे कहीं ज्यादा सीटें देनी पड़ीं।
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इंडी गठबंधन में भीतरी लड़ाई
शरद पवार ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना लगाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में भी खेल कर दिया। कांग्रेस,उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच लुका -छुपी का खेल चल रहा है। एक दूसरे को मात देने में इंडी गठबंधन के नेता लगे हुए हैं।
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झारखंड में इंडी की वापसी मुश्किल
झारखंड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। फिलहाल झारखंड में इंडी गठबंधन की सरकार है। इसलिए इंडी गठबंधन के लिए झारखंड में सरकार को बचाना बड़ी चुनौती है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद सत्ता में है। इससे पहले वहां एनडीए की सरकार थी। भाजपा ने आदिवासी बाहुल्य राज्य में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का प्रयोग किया था। लेकिन यह प्रयोग अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका और पिछले चुनाव में उसे भारी पड़ गया। इसी साल लोकसभा चुनाव में भी भाजपा आदिवासी बाहुल्य 5 सीटें जीत नहीं सकी । लेकिन इस बार आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भाजपा के लिए नई उम्मीद जगा रहे हैं। भाजपा आदिवासियों पर फोकस करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
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चंपई सोरेन फैक्टर से एनडीए को लाभ
ईडी के मनी लांड्रिंग मामले में जमानत के बाद फिर से मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन सहानुभूति के सहारे चुनाव जीतना चाहते हैं, जबकि भाजपा के चंपई सोरेन भी हेमंत सोरेन पर धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं। अपने सहयोगियों को सीटें देने में भाजपा ने उदारता दिखाई तो इंडी गठबंधन में कांग्रेस ने भी समझदारी दिखाते हुए वाम दलों के लिए जगह बनाकर गठबंधन को व्यापक बनाया है।
एनडीए की स्थिति मजबूत
दोनों गठबंधन एनडीए और इंडी गठबंधन का एजेंडा दोनों राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड काफी अंतर है। भाजपा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को प्रमुखता से उठा रही है, जबकि इंडी गठबंधन जाति जनगणना के जरिए सामाजिक न्याय पर दांव लगा रही है । लोकसभा चुनाव में दोनों ही राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में इंडी गठबंधन भारी पड़ा था लेकिन हाल में हुए हरियाणा विधानसभा में भाजपा ने बाजी पलट दी है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा ने 90 में 29 सीटें जीतकर मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में सफल हो रही है। फिलहाल दोनों ही राज्यों के चुनावी नतीजे राष्ट्रीय राजनीति की दशा और दिशा तय करेंगे।
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