Maharashtra Assembly Elections: वर्ली सीट पर कौन है डार्क हॉर्स?

मुंबई की वर्ली विधानसभा चुनाव पर अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उबाठा शिवसेना के आदित्य ठाकरे, शिवसेना के मिलिंद देवड़ा और मनसे के संदीप देशपांडे के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में डार्क हॉर्स कौन होगा।

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Maharashtra Assembly Elections: मुंबई की वर्ली विधानसभा चुनाव पर अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उबाठा शिवसेना के आदित्य ठाकरे, शिवसेना के मिलिंद देवड़ा और मनसे के संदीप देशपांडे के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में डार्क हॉर्स कौन होगा। इस निर्वाचन क्षेत्र में बीडीडी चाल, पुलिस कॉलोनी और वर्ली कोलीवाड़ी में पारंपरिक उबाठा मतदान शिवसेना उम्मीदवार के पक्ष में नहीं हुआ। इसलिए तर्क दिए जा रहे हैं कि वास्तव में जीत किसे हासिल होगी।

वर्ली विधानसभा क्षेत्र में 53 प्रतिशत वोटिंग पिछले चुनाव के मुकाबले साढ़े तीन प्रतिशथ वोटिंग बढ़ी है। 2014 के मुकाबले 2 फीसदी कम हुई है। इस निर्वाचन क्षेत्र मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, जिनमें 75 हजार 699 पुरुष और 65 हजार 882 महिला मतदाता शामिल हैं। ऐसी फुसफुसाहट है कि 20 नवंबर को हुए वास्तविक चुनावों में मनसे और शिवसेना ने बड़ी संख्या में वोट प्राप्त किए हैं।

मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने वर्ली कोलीवाड़ा और जंबोरी मैदान में दो सभाएं कीं और इस बैठक में उन्होंने वर्लीकरों को आश्वासन दिया कि उन्हें संदीप देशपांडे से मिलने के लिए पूर्व अनुमति या नियुक्ति की आवश्यकता नहीं होगी और उनसे उन्हें चुनने की अपील की। इसका परिणाम वास्तविक मतदान के दिन देखा गया और सुना जा रहा है कि मनसे और शिव सेना ने पुलिस कॉलोनी, बीडीडी चाल, वर्ली कोलीवाड़ा में बड़ी संख्या में मतदान प्राप्त किया है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, उबाठा से शिव सेना उम्मीदवार आदित्य ठाकरे को इस सीट पर बड़ा झटका लग सकता है।  अनुमान यह भी है कि मुकाबले में वे पिछड़ जाएंगे। इसलिए, आदित्य ठाकरे के सामने संदीप देशपांडे और मिलिंद देवड़ा की कड़ी चुनौती और 2019 की तुलना में वोटों का प्रतिशत 3 प्रतिशत बढ़ने के कारण यह परिणाम चुनाव परिणामों में देखा जाएगा। इसलिए 22 नवंबर को चुनाव के नतीजों से साफ हो जाएगा कि वर्ली का गढ़ किसका होगा।

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मौजूदा विधायक आदित्य ठाकरे ने मत विभाजन पर कम ध्यान दिया और अन्य उम्मीदवारों की प्रचार बैठकों और रैलियों पर अधिक ध्यान दिया। उनकी अनुपस्थिति में विधान परिषद सदस्य सुनील शिंदे और उनकी टीम ने मतदाताओं तक पहुंचने और प्रचार करने की कोशिश की है, लेकिन मतदाताओं को आदित्य ठाकरे के दर्शन नहीं होने से नाराजगी साफ तौर पर देखी गई है। विधायक बनने के बाद से वे नजर नहीं आये और संभाग में विकास कार्य नहीं होने से भी मतदाता नाराज हैं।

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