Assembly elections: महाराष्ट्र विधानसभा(Maharashtra Assembly) की 288 सीटों में से 200 से अधिक सीटों पर महायुति ने निर्णायक बढ़त बना ली(Mahayuti takes a decisive lead) है। महज 5 महीने पहले जब भाजपा 70 सीटें जीतने की स्थिति में थी, तब संघ ने कमान संभाली(RSS takes charge) और साथ में लाडली बहना योजना(Ladli Behna Yojana) का लाभ भी मिला। उस आधार पर अकेले भाजपा को सवा सौ सीटें मिलती दिख रही हैं। इसमें राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के साथ-साथ संघ का नियोजन, सहयोग और जमीनी कार्य की बड़ी भूमिका(RSS’s planning, support and ground work played a big role) मानी जा रही है।
लोकसभा चुनाव में ‘अब की बार चार सौ पार’ का ऐलान करने वाली भाजपा को सिर्फ 240 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को संघ की मदद नहीं मिली थी। हालांकि लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के दूसरे दिन से ही संघ ने मदद, मार्गदर्शन और सख्ती से कार्यान्वयन की योजना को अंमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया। नतीजतन भाजपा की चुनावी जीत और सत्ता की राह आसान हो गई। लोकसभा में हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने 5 जून को मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का ऐलान किया था।
फडणवीस और संघ की बैठक
छह जून को नागपुर में फडणवीस के आवास पर फडणवीस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अतुल लिमये के बीच एक बैठक हुई। इसके बाद फडणवीस ने दिल्ली का दौरा तो किया लेकिन उनके इस्तीफे का विषय पीछे छूट गया था। इस बैठक के बाद 23 जुलाई को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मुंबई के लोअर परेल, प्रभादेवी मे स्थित यशवन्त भवन कार्यालय में सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और अतुल लिमये की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले और फडणवीस के साथ चर्चा की। इसके बाद 3 अगस्त को फडणवीस नागपुर के रेशिमबाग स्थित संघ कार्यालय गए और अरुण कुमार एवं अतुल लिमये से बातचीत की। इसके अलावा 9 अगस्त को फडणवीस नागपुर के बीआरए मुंडले स्कूल सभागार में आयोजित संघ की बैठक में शामिल हुए। फिर 10 अक्टूबर को नागपुर के रेशिम बाग में संघ कार्यालय के पदाधिकारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बैठक हुई।
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लाडली बहना योजना का प्रभाव
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक संघ के सुझाव पर ही महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में लाडली बहना योजना लागू की। बडे़ स्तर की बैठकों के अलावा पूरे राज्य में स्थानीय स्तर पर संघ के स्वयंसेवक भाजपा की जीत के लिए कमर कसते दिखई दिए। दशहरा, कोजागिरी पूर्णिमा और दीपावली समारोहों के दौरान संघ की कई छोटी और बड़ी बैठकें आयोजित हुईं। स्वयंसेवकों को जिम्मेदारियां बांटकर भाजपा समर्थक मतदाताओं को चिह्नित कर उन्हें मतदान केंद्रों तक पहुंचाने का जिम्मा स्वयंसेवकों ने उठाया। वही चुनाव के दिन स्वयंसेवकों को बुजुर्ग मतदाताओं को अपने वाहनों में चुनाव बूथों तक ले जाते देखा गया। लोकसभा चुनाव के बाद जून में भाजपा को विधानसभा चुनाव में सिर्फ 60 से 70 सीटें मिलने का अनुमान था लेकिन संघ की मदद से भाजपा की जीत की राह आसान हो गई।