उत्तराखंड के चमोली जिले में ये मंदिर समुद्र स्तर से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर बना है। हर साल करीब 10 लाख श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं।
पालकी से आगे सेना और पुलिस के जवान बैंड के साथ चल रहे थे। पालकी को पूजा के लिए मंदिर के मुख्य द्वार तक लाया गया।
भगवान बद्रीनाथ का तिल के तेल से अभिषेक होता है। इसके लिए तेल टिहरी राज परिवार से आता है।
इतिहास के मुताबिक बद्रीनाथ धाम को आदि शंकराचार्य ने 9वीं शताब्दी में स्थापित किया था। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने ही अलकनंदा नदी से बद्रीनाथ की मूर्ति निकाली थी।
भक्तों ने 'बद्री विशाल लाल की जय' के नारे लगाकर डांस किया।